



सनातन और पुरातन का संगम है श्रीमद्भागवत गीता : सदगुरु मां

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में श्रीमद्भागवत गीता जयंती का भव्य आयोजन, हजारोंं श्रद्धालु जुटे
डीजे न्यूज, गिरिडीह : श्री कबीर ज्ञान मंदिर में सोमवार को श्रीमद्भागवत गीता जयंती का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंदिर परिसर को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया गया। आयोजन के प्रथम दिवस में श्रीमद् भागवत गीता जी का अखण्ड पाठ किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सद्गुरु मां ज्ञान के सान्निध्य में सबों ने सस्वर अखण्ड पाठ किया। बताया गया कि कल श्रीमद् भागवत गीता ज्ञानयज्ञ आयोजित है, जिसमें गीता मंत्रों के द्वारा हवन किया जाएगा।

इस अवसर पर सदगुरु मां ने अपने उद्गार में कहा कि जितनी भी मानवोपयोगी बाते हैं जो मानव कों मानव बनाने में सक्षम है, सब गीता में है। जितने भी का प्रकार का धर्म है, सबकी रचना श्रीमद्भागवत गीता के पश्चात हुआ है। सभी धर्मग्रंथों में जो भी अच्छी बाते है, चाहे समर्पण हो, भक्ति हो या जीवन जीने की कला हो, वे सब के सब पहले से ही गीता में है। गीता में कर्मकांड नहीं है, अपितु अमृत का भंडार है। सद्गुरु मां ने आगे कहा श्रीमद्भभगवतगीता एक पुस्तक मात्र नहीं है, यह संविधान है सनातन धर्म का। यह संविधान है मानव मात्र का। इस सविधान को अंगीकार कर लेने से हमारा जीवन दिव्य गुणों से भर जाएगा। गीता में बताए गए मार्ग मानव को महामानव बनाकर आपसी प्रेम का विस्तार करने वाला, आर्थिक और आध्यात्मिक जीवन की उत्तंग शिखर तक पहुंचाने वाला, जाति पाती और पंथवाद से ऊपर उठाने वाला, कर्मों में सजग और कर्मठ बनाने वाला, जीवन के विपरित परिस्थितियों में मुस्कुराने और मुश्किलों का हल निकालने वाला संजीवनी है। आज से सृष्टि के आदि में यदि कोई धर्म था तो वह था सनातन धर्म। सनातन का अर्थ है जो आरंभ से है, सदा है, और सदा रहेगा। जो कभी नही बदलता। श्रीमद्भागवत गीता धर्म सनातन और पुरातन का पोषक है। पुरातन हमें जीवन की कला और जीवन जीने का सही तरीका सिखाता है। सनातन हमें मानव जन्म का उद्देश्य बताता है। श्रीमद्भागवत गीता सनातन और पुरातन का संगम है। जो मानव जन्म पाकर, सनातन धर्म में आकर गीता गंगा में डुबकी नहीं लगाते है वे बहुत अभागे हैं। अतः श्रीमद्भागवत गीता हर हिन्दू के घर में होना अनिवार्य है। जिसका पठन पाठन हमारी आने वाली पीढ़ियों का भी मार्गदर्शन करेगी।

