श्रमिकों को गुलाम बनाने का कानून है लेबर कोड: हलधर महतो

Advertisements

श्रमिकों को गुलाम बनाने का कानून है लेबर कोड: हलधर महतो

डीजे न्यूज, कतरास(धनबाद): कतरास स्थित भाकपा-माले कार्यालय में शनिवार को ठाकुर महतो की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में प्रतिवाद सप्ताह की तैयारियों पर चर्चा की गई।पोलित ब्यूरो सदस्य हलधर महतो ने कहा कि  श्रम संहिता (लेबर कोड) श्रमिकों को गुलाम बनाने का कानून है। भाकपा-माले का स्पष्ट मत है कि यह चारों लेबर कोड मजदूर वर्ग पर कॉरपोरेट मालिकों की मनमानी थोपने की साज़िश है। घोषित श्रम संहिताओं का उद्देश्य मजदूरों द्वारा वीरतापूर्ण संघर्षों, आंदोलन और कुर्बानियों से हासिल किए गए ऐतिहासिक अधिकारों को छीनना है। उन्होंने कहा कि
सामाजिक सुरक्षा और कार्य-सुरक्षा के संदर्भ में यह मजदूरों को समझौता करने के लिए विवश करेगा और उन्हें असुरक्षा में धकेलने की कोशिश है। ये संहिताएँ एक ओर मजदूरों के अधिकारों को कमजोर करती हैं तो दूसरी ओर कॉरपोरेट घरानों, पूंजी मालिकों और नौकरशाही के हाथों में निरंकुश अधिकार सौंपती है। लेबर कोड के जरिए महिला एवं अन्य सभी असुरक्षित श्रमिकों के श्रम के खुले शोषण का रास्ता तैयार किया जा रहा है और मजदूरों के संगठित होने  और शोषण-दमन के खिलाफ प्रतिवाद—विशेषकर  हड़ताल के अधिकार हमला किया जा रहा है। भाकपा-माले मोदी सरकार से मांग करती है कि वह तत्काल इन जन-विरोधी श्रम संहिताओं को वापस ले। झारखंड राज्य कमिटी राज्य के सभी श्रमिक संगठनों,  प्रगतिशील ताकतों, लोकप्रिय जनसंगठनों और समाज के सभी न्यायप्रिय नागरिकों से अपील करती है कि वे श्रम संहिताओं के खिलाफ शुरू किए जा रहे प्रतिवाद  में अधिकतम संख्या में शामिल हों और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के इस संघर्ष को मजबूत करें। भाकपा माले को विश्वास है कि भारत का मजदूर वर्ग मोदी सरकार को किसान आंदोलन की तरह श्रम कोड वापस लेने पर बाध्य करेगा। बैठक में कपूर पंडित, शंकर प्रजापति, बंटी प्रजापति, विक्रम प्रजापति, बजरंगी प्रजापति, अर्जुन पंडित आदि मौजूद थे।

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
Scroll to Top