



श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग का मंचन

भजनों पर भावविभोर हुए श्रद्धालु
डीजे न्यूज, तेतुलमारी(धनबाद): आजकल के समय में लोग भक्ति को भी “ट्रेंडिग” का हिस्सा बना बैठे हैं। लोग इस बात पर ध्यान देने लगे हैं कि कौन सा गुरु या कौन सी भक्ति सोशल मीडिया पर अधिक प्रसिद्ध है और उसी की पूजा करने लगते हैं। भक्ति और गुरु की साधना कोई प्रतियोगिता नहीं होती। सच्चा गुरु वह है जो तुम्हें भगवान की ओर ले जाए और सच्चा भक्त वह है जो बिना दिखावे और स्वार्थ के अपने गुरु के मार्ग पर चले।
उक्त बातें कथावाचक सुरेंद्र हरिदास ने रविवार को प्रवचन के दौरान कहीं। पांडेडीह के चंदौर बस्ती स्थित महादेव मंदिर परिसर में चल रहे नौ दिनी श्रीमद भागवत कथ के दौरान श्री कृष्ण और रुक्मणि का विवाह बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह से जुड़े भजनों की प्रस्तुति हुई, तो श्रद्धालु अपने आप को रोक नहीं पाए और भक्ति भाव में झूम उठे। भक्तगण भक्ति रस में डूबकर झूम उठे, तालियों की गूंज और “राधे-श्याम” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। ऐसा लग रहा था मानो साक्षात भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उस स्थल पर उपस्थित होकर अपने भक्तों के साथ आनंद मना रहे हों।

कथावाचक सुरेंद्र हरिदास ने कहा कि रास केवल एक लीला नहीं प्रेम की पराकाष्ठा थी। भगवान ने दिखाया कि सच्चा प्रेम स्वार्थ रहित होता है। जब गोपियों ने अपना सब कुछ भगवान को समर्पित कर दिया, तब भगवान ने उनके हृदय में स्वयं को प्रकट किया। यह रास, भक्ति और प्रेम का दिव्य मिलन था — जहाँ न शरीर था, न अहंकार, केवल आत्मा और भगवान का संगम था।
उन्होंने कहा कि धर्म से अटैचमेंट ही वह सुरक्षा कवच है, जो परिवार को टूटने से और समाज को पतन से बचाता है।
सफल बनाने में आशीष वर्मा,आशा वर्मा, राजू लाला, धनंजय सिंह, संतोष वर्मा, आनन्द सोनार, कैलाश बाउरी, मंजू देवी, दयावती देवी,अवधेश वर्मा, रेखा देवी, बिरजू बाउरी, हर्ष वर्मा, सचित बाउरी, प्रेम वर्मा, सुजीत वर्मा, मुकुंद स्वर्णकार, बिंदेश्वर सोनार, सरोज देवी, खुशी कुमा, देवेन्द्र नाथ वर्मा, उर्मिला सिंह आदि सरहानीय योगदान दे रहे हैं।
