
शीशमहल में बुलाकर महिला का अपमान करने वाले दुर्योधन का हुआ समूल वंश का नाश : कुमार विश्वास
चिटाहीधाम में दर्शकों के सर चढ़कर बोला कुमार विश्वास का जादू, निशाने पर रहे पुराने मित्र केजरीवाल
डीजे न्यूज, चिटाहीधाम, धनबाद : दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल का बिना नाम लिए कहा कि अपने शीश महल में बुलाकर महिला का अपमान करने वाले का आज समूल वंश का नाश हुआ है। हर युग में अहंकारी दुर्योधन का पतन हुआ है। इस युग में भी हो गया। राजाराम की कृपा से आज एक अहंकारी का शीश झुका है। कभी अरविंद केजरीवाल के सबसे निकटतम सहयोगी रहे कुमार विश्वास ने कहा कि महाभारत के अनुसार अगर मित्र दुर्योधन हो जाए तो कर्ण की तरह रथ पर सवार न रहें। उतर जाएं, मैंने वैसा ही किया और आज उस दुर्योधन का नाश हो गया। राजाराम के आशीर्वाद से एक अहंकारी का अहंकार टूट गया। आज अच्छा दिन है और इस अवसर पर राजाराम के दरबार में आप सभी के सम्मुख खड़े होकर गौरवान्वित हो रहा हूं।
कुमार विश्वास शनिवार की रात यहां रामराज मंदिर चिटाही धाम के वार्षिक महोत्सव एवं श्रीराम महायज्ञ में कविता पाठ कर रहे थे। कुमार विश्वास को सुनने और उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों लोग बेताब थे। सांसद ढुलू महतो ने इस मौके पर कुमार विश्वास समेत सभी कवियों का स्वागत किया।
अगले कुछ माह में सात दिनों तक धनबाद में करेंगे रामकथा, शामिल होंगे बागेश्वर धाम महाराज
कुमार विश्वास ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में धनबाद में सात दिनों की राम कथा करेंगे। प्रत्येक दिन एक-एक बड़े संत भी इस मौके पर उपस्थित रहेंगे। बागेश्वर धाम सरकार समेत अनेक कथावृंद भी इस मौके पर उपस्थित रहेंगे। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डा नहीं होने से धनबाद आने में थोड़ी परेशानी होती है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री मेरे भाई समान हैं। धनबाद में रामकथा के दौरान उन्हें आमंत्रित किया जाएगा और हक से हवााईअड्डा की मांग रखेंगे। धनबादवालों को हवाईअड्डे का तोहफा मिलेगा।
दर्शकों और श्रोताओंा पर चला कुमार विश्वास का जादू
चिटाही धाम में दर्शकों और श्रोताओं पर कुमार विश्वास का जादू सर चढ़कर बोला। कुमार विश्वास ने अपनी सबसे चर्चित रचना कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है। मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है। मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है। ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है। मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है, कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है। यहां सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आंसू हैं, जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है, से खूब तालियां बटोरीं। कोई सबरी बुलाए तो वो मीठे बैर खा जाएं, कोई साथी हो संकट में तो वो पार्टी से टकराए, जटायु जब पुकारे तो वो बेटा बन कर आ जाए, जिसके नाम से तीनों लोक में संध्या सवेरे है वही एक राम मेरे हैं, चिटाही धाम वाले ये बात फिर नहीं होगी, ये चेहरे तो फिर होंगे लेकिन ये बरसात नहीं होगी, आदि से कविता पाठ से मंत्रमुग्ध कर दिया।