गुनाहों की माफी की रात शब ए बारात

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शब ए बारात का मतलब छुटकारे की रात से है। इस्लाम मजहब में इस रात की बहुत अहमियत है। शब यानी रात, यह रात इबादत की रात है जब अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है और दिन में रोजा रखा जाता है। इस दिन उन सभी के लिए दुआ की जाती है जो दुनिया से जा चुके हैं और उनके नाम का खाना गरीबों को खिलाया जाता है। आमतौर पर चने की दाल का हलवा, सूजी का हलवा या कुछ मीठा भी बांटा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन पूरे साल का हिसाब होता है और अगले साल के काम तय किए जाते हैं यानी कौन पैदा होगा, कौन मरेगा किसे कितनी रोजी मिलेगी। इसी के चलते अपने गुनाहों की माफी मांग कर आगे की जिंदगी अच्छी गुजारने का मौका दिया जाता है।

‘‘अल्लाह तआला हम सब को कहने, सुनने पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फरमाये और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताये हुए रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमाये अमीन।‘‘

–     सिकंदर अली
                                          लेखक समाज सेवी तथा इस्लाम के धार्मिक मामलों के जानकार हैं। 

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