संताल समाज के स्वशासन पर संशोधन को लेकर माँझी परगाना सरदार महासभा का प्रतिनिधिमंडल विधानसभा अध्यक्ष से मिला

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संताल समाज के स्वशासन पर संशोधन को लेकर माँझी परगाना सरदार महासभा का प्रतिनिधिमंडल विधानसभा अध्यक्ष से मिला

झारखंड सरकार द्वारा संताल सिविल रूल्स 1946 और संताल जस्टिस रेग्युलेशन 1893 में संशोधन पर जताई चिंता, विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री तक बात पहुँचाने का दिया आश्वासन

डीजे न्यूज, जामताड़ा : माँझी परगाना सरदार महासभा, जिला जामताड़ा की ओर से राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त शिक्षक सह महासभा के संरक्षक सुनील कुमार बास्की के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष माननीय रबिन्द्रनाथ महतो से मुलाकात की। यह मुलाकात नाला विधानसभा क्षेत्र के मंझलाडीह स्थित उनके निजी आवास पर हुई।

प्रतिनिधिमंडल ने संताल सिविल रूल्स 1946 और संताल परगाना जस्टीस रेग्युलेशन 1893 में झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधनों पर गहरी चिंता व्यक्त की। साथ ही, गाँव समाज चलाने वाले स्वशासन के पदधारकों — यानी माँझी, जोगमांझी, नाईकी, कुडाम नाईकी, प्राणिक, जोगप्राणिक, गोडित, भद्दो, लासेरसाल और सुसारिया — को सम्मान राशि प्रदान करने की मांग भी रखी।

बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि इन कानूनों में किसी तरह की गड़बड़ी संताल और पहाड़िया समाज के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर सकती है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष रबिन्द्रनाथ महतो ने आश्वासन दिया कि समाज की बातों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा और उस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

प्रतिनिधिमंडल ने जामताड़ा जिले के सभी अंचलों की रिपोर्ट और अपर समाहर्ता द्वारा प्रमंडलीय आयुक्त को भेजी गई रिपोर्ट पर भी चर्चा की। रिपोर्ट में कहा गया है कि “लोकल ट्राइबल काउंसिल प्रभाव में नहीं है तथा संताल समाज में माँझी-परगाना जैसी पारंपरिक व्यवस्थाएं मौजूद नहीं हैं।” इस रिपोर्ट को समाज के प्रतिनिधियों ने भ्रामक और समाज के अस्तित्व के लिए खतरा बताया। इसी तरह देवघर जिले की रिपोर्ट पर भी चर्चा की गई, जिसमें समान तथ्य दर्ज हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने आशंका जताई कि यदि जामताड़ा और देवघर के बाद अन्य जिलों में भी ऐसी रिपोर्ट दी गई तो यह संताल परगना के परंपरागत स्वशासन प्रणाली के लिए घातक साबित होगा। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि इन दोनों कानूनों की पुनः समीक्षा कर समाज के जानकारों से राय मशविरा लेकर सरकार को सही रिपोर्ट दी जाए ताकि संताल और पहाड़िया समाज के अस्तित्व पर कोई खतरा न आए।

इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि अब तक सरकार द्वारा माँझी, नाईकी, कुडाम नाईकी, प्राणिक, जोगमांझी, गोडित और परगाना को तो सम्मान राशि दी गई है, लेकिन लगभग 95 प्रतिशत पदधारकों को अब तक सम्मान राशि प्राप्त नहीं हुई है। बाकी पदधारक — जोगप्राणिक, भद्दो, लासेरसाल और सुसारिया को भी इस सूची में शामिल कर सम्मान राशि स्वीकृत की जानी चाहिए। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से सुनील कुमार हांसदा (जिला अध्यक्ष, माँझी परगाना सरदार महासभा), बिर माँझी हराधन मुर्मू, समाज के बुद्धिजीवी लेबेन हांसदा, माँझी बाबा सुनील कुमार हेम्ब्रम, माँझी दरोगा मुर्मू, तथा जिला उपाध्यक्ष महादेव हांसदा सहित कई गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।

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