



संताल सिविल रूल्स पर संशोधन के खिलाफ फतेहपुर में मांझी परगाना सरदार महासभा का धरना

पेसा कानून को हूबहू लागू करने और माँझी-जोगमांझी को सम्मान राशि देने की मांग
डीजे न्यूज, जामताड़ा : माँझी परगाना सरदार महासभा प्रखंड फतेहपुर की ओर से बुधवार को प्रखंड कार्यालय परिसर में एकदिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस दौरान संगठन के सदस्यों ने संताल सिविल रूल्स 1946 एवं संताल परगाना जस्टिस रेग्यूलेशन 1893 पर संशोधन के प्रयासों का विरोध करते हुए पेसा कानून 1996 को ज्यों का त्यों लागू करने की मांग की। साथ ही गाँव समाज चलाने वाले पारंपरिक पदधारकों — माँझी, जोगमांझी, नाईकी, कुडाम नाईकी, प्राणिक, जोगप्राणिक, गोडित, भद्दो, लासेरसाल एवं सुसारिया — को सम्मान राशि देने की मांग भी उठाई गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता माँझी बाबा रहिदास मराण्डी ने की।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित माँझी परगाना सरदार महासभा के संरक्षक एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक सुनील कुमार बास्की ने कहा कि संताल हूल 1855 के बाद आदिवासी समाज की सुरक्षा के लिए बनाए गए ये दोनों कानून संताल और पहाड़िया समाज की पहचान हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इन कानूनों की समीक्षा कर संताल समाज की परंपरा और स्वशासन पर आघात करना चाह रही है। जामताड़ा जिला प्रशासन की रिपोर्ट में यह तक कहा गया है कि फतेहपुर अंचल में माँझी या परगाना अस्तित्व में नहीं हैं, जो सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है।
जिला अध्यक्ष सुनील कुमार हांसदा ने कहा कि झारखंड में पेसा कानून लागू करने में जानबूझकर देरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि “देश के अन्य राज्यों में यह कानून लागू हो चुका है, लेकिन झारखंड में इसे रोकना आदिवासी स्वशासन को कमजोर करने की साजिश है।” उन्होंने माँझी, नाईकी, गोडित, प्राणिक, जोगमांझी और कुडाम नाईकी को मिलने वाली सम्मान राशि का भुगतान लंबित रहने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यदि सरकार जल्द इन मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो 22 दिसम्बर को संताल परगना स्थापना दिवस पर जामताड़ा में विशाल रैली के माध्यम से आंदोलन तेज किया जाएगा। धरना में बिर माँझी सह कुंडहित प्रखंड अध्यक्ष हराधन मुर्मू, समाज के जानकार सेवानिवृत्त शिक्षक लेबेन हांसदा, जामताड़ा प्रखंड अध्यक्ष नाज़िर सोरेन, जिला उपाध्यक्ष महादेव हांसदा, माँझी दरोगा मुर्मू, माँझी कालीश्वर सोरेन, भद्दो देविश्वर पंवरिया, नाईकी बाबा परेश मराण्डी, माँझी सीताराम बास्की, प्रणिक मिस्त्री पाँवरिया, सुलेमान हेम्ब्रम समेत बड़ी संख्या में संगठन के सदस्य एवं समर्थक मौजूद थे। इस मौके पर वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि “माँझी संताल समाज की रीढ़ है, उसे गौण करने का हर प्रयास समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।”
