
सड़क के अभाव में फिर एक प्रसूति महिला की मौत
खाट पर टांग कर अस्पताल ले जाते समय तोड़ा दम
डीजे न्यूज, तिसरी, गिरिडीह : सरकारी उदासीनता और बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बार फिर एक प्रसूति आदिवासी महिला की जान ले गई। तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव में सड़क की सुविधा न होने के कारण 30 वर्षीय पानो हेंब्रम को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका, जिससे उनकी मौत हो गई।
खाट पर टांग कर अस्पताल ले जाते समय तोड़ा दम
पानो हेंब्रम, जो कि नयनपुर गांव निवासी तालों सोरेन की पत्नी थीं, को सोमवार शाम प्रसव पीड़ा शुरू हुई। सड़क न होने के कारण परिजन उन्हें अस्पताल नहीं ले जा सके और स्थानीय स्तर पर ही प्रसव कराया गया। प्रसव के बाद पानो की हालत बिगड़ने लगी, लेकिन गांव में सड़क न होने के कारण एंबुलेंस वहां तक नहीं पहुंच सकी।
परिजनों ने खाट पर टांग कर पानो को लोकाय उपस्वास्थ्य केंद्र ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। किसी तरह खाट पर टांग कर लोकाय पहुंचे परिजनों को डॉक्टर ने बताया कि पानो की मौत हो चुकी है। नवजात शिशु हालांकि स्वस्थ है।
चार साल बाद भी नहीं बनी सड़क, सरकारी वादे फेल
यह कोई पहली घटना नहीं है। 26 फरवरी 2021 को भी इसी गांव की सुरजी मरांडी की मौत इसी तरह हुई थी। सुरजी को भी खाट पर टांग कर गावां अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनका प्रसव हो गया और इलाज के अभाव में नवजात की मौत हो गई। बाद में सुरजी भी दम तोड़ दी थीं।
उस घटना के बाद तत्कालीन डीसी के निर्देश पर खोरीमहुआ के तत्कालीन एसडीएम धीरेन्द्र सिंह और सरकारी अधिकारियों ने लक्ष्मीबथान पहुंचकर सड़क निर्माण का आश्वासन दिया था। लेकिन चार साल बाद भी सड़क नहीं बनी और अब पानो हेंब्रम को भी उसी लचर व्यवस्था की भेंट चढ़ना पड़ा।
कब मिलेगी ग्रामीणों को सड़क सुविधा?
ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। हर साल गर्भवती महिलाओं और बीमार ग्रामीणों को खाट पर ढोकर अस्पताल ले जाना उनकी मजबूरी बनी हुई है।
सरकार की यह अनदेखी लक्ष्मीबथान के ग्रामीणों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। ग्रामीणों ने अब प्रशासन से अविलंब सड़क निर्माण की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाएं दोबारा न हों।