रघुनाथ तिवारी ने क्षेत्रीय राजनीति में कायम की थी नैतिक मूल्यों की मिसाल 

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रघुनाथ तिवारी ने क्षेत्रीय राजनीति में कायम की थी नैतिक मूल्यों की मिसाल

झारखंड आंदोलनकारी रघुनाथ तिवारी की पुण्यतिथि पर बगोदर में श्रद्धांजलि सभा, बिरहोर परिवारों के बीच राशन का वितरण

जन संघर्ष और समाजसेवा के प्रतीक को किया गया याद, वक्ताओं ने साझा किए प्रेरक संस्मरण

श्रीप्रसाद बरनवाल, बगोदर(गिरिडीह) : झारखंड आंदोलन के अग्रणी सेनानी, जन नेता और समाजसेवी रघुनाथ तिवारी की नवीं पुण्यतिथि पर शनिवार को वनवासी विकास आश्रम, बगोदर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने उनके जीवन संघर्ष, जन मुद्दों के प्रति समर्पण और सामाजिक बदलाव की दिशा में किए गए कार्यों को याद किया।

कार्यक्रम में बगोदर विधायक नागेंद्र महतो, प्रमुख आशा राज, जिला परिषद सदस्य दुर्गेश राणा, मुखिया जिबाधन महतो, परमेश्वर मोदी, कृष्ण मुरारी पांडेय समेत कई जनप्रतिनिधियों और गणमान्य लोगों ने स्व. तिवारी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

जन संघर्ष का प्रतीक बने रघुनाथ तिवारी

वक्ताओं ने बताया कि रघुनाथ तिवारी झारखंड आंदोलन के प्रारंभिक और प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे और झारखंड पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने बगोदर अटका क्षेत्र के हाइवे पर स्थित ढाबों में चल रहे वेश्यावृत्ति के अड्डों को बंद कर सामाजिक सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया। उन्होंने चार बार बगोदर और एक बार मांडू विधानसभा से चुनाव लड़ा तथा क्षेत्रीय राजनीति में नैतिक मूल्यों की मिसाल कायम की।

स्व. तिवारी ने बिनोद बिहारी महतो, दिसोम गुरु शिबू सोरेन, स्व. शिवा महतो और स्व. एन.ई. होरो के सान्निध्य में झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई। आज झारखंड राज्य का जो स्वरूप है, उसमें उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

बिरहोर समुदाय के लिए राशन वितरण

पुण्यतिथि के अवसर पर जीव दया फाउंडेशन के सहयोग से पिपराडीह, कला पत्थर और अमनारी गांवों के 62 बिरहोर परिवारों के बीच राशन किट वितरित किया गया। हर परिवार को 25 किलो चावल और 4 किलो दाल प्रदान किया गया। यह पहल स्व. तिवारी के जनकल्याणकारी मूल्यों की जीवंत मिसाल बनी।

कार्यक्रम का संचालन स्व. तिवारी के पुत्र सुरेश कुमार शक्ति और महेन्द्र तिवारी ने किया। श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने उनके विचारों और संघर्षों को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया।

यह श्रद्धांजलि सभा सिर्फ एक स्मरण नहीं, बल्कि सामाजिक समर्पण और जन संघर्ष की उस परंपरा का उत्सव थी, जिसे स्वर्गीय रघुनाथ तिवारी ने जीवन भर जिया और संजोया।

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