
राष्ट्रपति ने आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में शिरकत की, छात्रों से भावनात्मक समझ और नवाचार के साथ देश सेवा की अपील
डीजे न्यूज, धनबाद:
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ) धनबाद के 45वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। यह समारोह संस्थान के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित किया गया।
इस अवसर पर कुल 1,880 विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में डिग्रियां प्रदान की गईं। उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 37 गोल्ड मेडल, 35 सिल्वर मेडल और 21 स्पॉन्सरशिप आधारित मेडल एवं अवॉर्ड भी दिए गे।
पढ़ाई को निजी सफलता तक सीमित न रखें, समाज के विकास और देशहित में उपयोग करें: राष्ट्रपति
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी (आईएसएम) ने बीते करीब 100 वर्षों में खनन और भूविज्ञान के क्षेत्र से आगे बढ़ते हुए शिक्षा और शोध का एक बड़ा केंद्र बना लिया है। उन्होंने संस्थान की इस बात के लिए सराहना की कि यहां शिक्षा और नवाचार को समाज की ज़रूरतों से जोड़ने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने कहा, “आज देश और दुनिया जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी, डिजिटल बदलाव और सामाजिक असमानता जैसी कई चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे समय में आईआईटी (आईएसएम) जैसे संस्थानों की भूमिका और भी ज़रूरी हो जाती है।” राष्ट्रपति ने छात्रों से अपील की कि वे अपनी पढ़ाई को सिर्फ निजी सफलता तक सीमित न रखें, बल्कि समाज के विकास और देशहित में उसका उपयोग करें।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका मानव संसाधन है और तकनीकी शिक्षा व डिजिटल स्किल्स के ज़रिए देश आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रपति ने नवाचार, स्टार्टअप्स और पेटेंट कल्चर को बढ़ावा देने की बात कही और पढ़ाई में इंटरडिसिप्लिनरी (विभिन्न विषयों को जोड़कर पढ़ाई) अप्रोच अपनाने पर ज़ोर दिया।
शिक्षा को समावेशी बनाने की जरूरत: राज्यपाल
झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने भी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आईआईटी (आईएसएम) ने अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है। उन्होंने ऊर्जा, पर्यावरण और खनिज संसाधनों के संतुलित प्रबंधन की दिशा में संस्थान की भूमिका को अहम बताया और शिक्षा को समावेशी बनाने की ज़रूरत पर बल दिया।
नौकरियां ढूंढने वाले नहीं वल्कि नौकरियां देने वाले बनें: केंद्रीय शिक्षा मंत्री
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि दीक्षांत समारोह छात्रों की शिक्षा यात्रा का एक अहम पड़ाव है। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे नौकरियां ढूंढ़ने वाले नहीं, बल्कि नौकरियां देने वाले बनें। उन्होंने संस्थान की सामाजिक जिम्मेदारी की सराहना करते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से चल रहे ट्राइबल वेलफेयर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का ज़िक्र किया, जो देशभर के एकलव्य मॉडल स्कूलों के छात्रों को डिजिटल स्किल्स में प्रशिक्षण दे रहा है।
खनिज संसाधनों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान: मंत्री सुदिव्य
झारखंड सरकार में उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार ने भी छात्रों को बधाई दी और संस्थान की देश के खनिज संसाधनों के क्षेत्र में की गई सेवाओं की सराहना की।
निदेशक ने प्रस्तुत की वार्षिक रिपोर्ट
समारोह की शुरुआत में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन प्रो. प्रेम व्रत ने राष्ट्रपति का स्वागत और सम्मान किया। संस्थान के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें संस्थान की शैक्षणिक, शोध और सामाजिक उपलब्धियों का विवरण दिया गया।
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद का यह दीक्षांत समारोह न केवल छात्रों के लिए यादगार रहा, बल्कि संस्थान की 100 वर्षों की उपलब्धियों और आगे के विकास के संकल्प का प्रतीक भी बना।