

पश्चिम बंगाल की आदिवासी महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक पहल,
उच्च गुणवत्ता वाले मिलेट उत्पादन के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम का डिज़ाइन और क्रियान्वयन
डीजे न्यूज, धनबाद: आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के प्रबंधन अध्ययन और औद्योगिक अभियांत्रिकी विभाग की ओर से कोल इंडिया लिमिटेड के सीएसआर कार्यक्रम के तहत बांकुड़ा के सालमा में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन प्रसिद्ध एग्री-बिजनेस विशेषज्ञ सुमित लायेक ने “उद्यमशीलता की सोच विकसित करना” विषय पर रोचक और प्रेरणादायक सत्र लिया।
उन्होंने महिला सशक्तिकरण, नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास और टीमवर्क को ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में सफल उद्यमिता की नींव बताया। उन्होंने मिलेट आधारित उद्यमों के वित्तपोषण और बिजनेस प्लानिंग पर भी विस्तार से चर्चा की, जिसमें सरकारी योजनाएँ, स्वयं सहायता समूह, नाबार्ड की पहलें और माइक्रोफाइनेंस विकल्पों पर जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को लागत निर्धारण, मूल्य निर्धारण और बजट प्रबंधन जैसे व्यावहारिक विषयों पर प्रशिक्षण दिया ताकि वे टिकाऊ व्यवसाय चलाने की बारीकियाँ समझ सकें।
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने नवाचारपूर्ण व्यावसायिक विचारों पर चर्चा की और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित हुए। लायेक ने कहा कि “अगर महिलाओं को सही सोच और वित्तीय जानकारी दी जाए तो मिलेट खेती को एक लाभदायक और सामुदायिक उद्यम में बदला जा सकता है।”
इस परियोजना में आईआईटी (आईएसएम) की टीम के रोहित सिंह, सुमना बनर्जी, सनी कुमार और फिरदौस अंसारी ने जमीनी स्तर पर समन्वय, प्रशिक्षण और प्रतिभागियों की भागीदारी सुनिश्चित कर कार्यशाला को सफल बनाया।
यह पहल प्रो. नीलाद्रि दास और प्रो. रश्मि सिंह के नेतृत्व में चल रही है, जो महिला सशक्तिकरण, कृषि-उद्यमिता और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। यह कार्यक्रम शैक्षणिक विशेषज्ञता, कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी और ग्रामीण विकास को एक साथ जोड़ता है, जिससे पश्चिम बंगाल की आदिवासी महिलाओं के लिए सतत आजीविका और आर्थिक सशक्तिकरण का रास्ता खुल रहा है।
