



परमाणु ऊर्जा और बीमा क्षेत्र में सरकार के फैसलों का माकपा ने किया विरोध

डीजे न्यूज, रांची:भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में निजी एवं विदेशी कंपनियों के प्रवेश और बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों का कड़ा विरोध किया है। पार्टी ने इन निर्णयों को देश के रणनीतिक हितों, जनसुरक्षा और आर्थिक संप्रभुता के लिए घातक बताया है।
पार्टी के केंद्रीय कमिटी सदस्य प्रकाश विप्लव ने जारी एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (सीएलएनडीए), 2010 में संशोधन करने जा रही है। इन प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य निजी कंपनियों के साथ-साथ विदेशी तकनीक एवं उपकरण आपूर्तिकर्ताओं के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करना है।
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा जैसा अत्यंत संवेदनशील और रणनीतिक महत्व का क्षेत्र निजी कंपनियों के हवाले करना देश के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। प्रस्तावित संशोधनों के तहत निजी परमाणु कंपनियों को बिजली के टैरिफ स्वयं तय करने की खुली छूट दी जा रही है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा और सरकारी नियमन कमजोर होगा।
उन्होंने सीएलएनडीए में प्रस्तावित बदलावों को विशेष रूप से खतरनाक बताते हुए कहा कि इससे परमाणु दुर्घटनाओं से प्रभावित लोगों को मिलने वाला मुआवजा कमजोर हो जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अमेरिकी दबाव में आकर कानून में संशोधन कर रही है, ताकि दुर्घटनाओं और अन्य अप्रिय घटनाओं के लिए निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं को दायित्व से मुक्त किया जा सके। यह एक तरह से दोहरा लाभ है—न तो कंपनियों को दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और न ही टैरिफ निर्धारण में किसी प्रभावी नियामक निगरानी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने इसे भाजपा-नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों का उदाहरण बताया।
बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई पर घोर आपत्ति
बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति पर भी सीपीआई (एम) ने गंभीर चिंता जताई है। सरकार के इस फैसले से घरेलू बीमा उद्योग अस्थिर हो जाएगा और पॉलिसीधारकों की निजता तथा वित्तीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है विदेशी निवेशकों की व्यावसायिक प्राथमिकताएं जनकल्याण के उद्देश्यों पर हावी होंगी, जिससे सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता कमजोर होगी।
सीपीआई (एम) का मानना है कि इस फैसले से लुटेरी अधिग्रहणों (प्रेडेटरी टेकओवर) का रास्ता खुलेगा, जिससे देश के महत्वपूर्ण वित्तीय और राष्ट्रीय संसाधनों पर नियंत्रण खोने का खतरा बढ़ जाएगा।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने देश के हितों की रक्षा के लिए समाज के सभी लोकतांत्रिक लोगों, वर्गीय और जनसंगठनों एवं श्रमिक संगठनों से इन संशोधनों के खिलाफ एकजुट होकर विरोध दर्ज कराने की अपील की है।
