पहचान, शक्ति और  सांस्कृतिक धरोहर है हिंदी: हरेंद्र सिंह, संस्कृति और राष्ट्र की आत्मा है हिंदी: श्रीराम दुबे, विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में हिंदी को अपनाना समय की मांग: डा. कामेश्वर विश्वास, समाज को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम है हिंदी: चंद्रशेखर सिंह

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पहचान, शक्ति और  सांस्कृतिक धरोहर है हिंदी: हरेंद्र सिंह,

संस्कृति और राष्ट्र की आत्मा है हिंदी: श्रीराम दुबे,

विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में हिंदी को अपनाना समय की मांग: डा. कामेश्वर विश्वास,

समाज को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम है हिंदी: चंद्रशेखर सिंह
डीजे न्यूज, धनबाद: असर्फी हॉस्पिटल लिमिटेड में शनिवार को हिंदी दिवस की पूर्व संध्या बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम में मौजूद अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हरेंद्र सिंह ने महान विभूतियों को नमन करते हुए कहा कि उनलोगों ने हिंदी साहित्य और भाषा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। अपनी दैनिक कार्यशैली और जीवन में हिंदी का प्रयोग अधिक से अधिक करने के लिए प्रेरित किया। सीईओ ने कहा कि हिंदी हमारी पहचान, शक्ति और  सांस्कृतिक धरोहर है। इसे और सशक्त बनाने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
पूर्व शिक्षा निदेशक एवं आयुक्त, झारखंड सरकार डा. श्रीराम दुबे ने कहा कि हिंदी हमारी संस्कृति और राष्ट्र की आत्मा है। हमें इसे सम्मान और प्रयोग में निरंतर बढ़ावा देना चाहिए।
पूर्व प्राचार्य एवं मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, पीएमसीएच धनबाद डा. कामेश्वर विश्वास ने जोर देकर कहा कि विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में भी हिंदी को अपनाना समय की मांग है।
भाजपा मे पूर्व जिलाध्यक्ष एवं राज्य कार्यसमिति सदस्य चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि हिंदी समाज को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम है और हमें इसे गर्व से प्रयोग करना चाहिए।
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार ने कहा कि हिंदी को सम्मान देना राष्ट्र की गरिमा को सम्मान देना है और यह हर नागरिक का दायित्व है।
हिंदी लेखिका श्रुति कर्ण ने कहा कि हिंदी लेखन हमारे विचारों को सजीव बनाता है और समाज को नई दिशा देने में सहायक है।
हिंदी शिक्षिका एवं साहित्यकार शालिनी झा ने कहा कि हिंदी को नई पीढ़ी तक पहुँचाना हम सबकी जिम्मेदारी है ताकि यह आने वाले समय में और सशक्त हो।
अस्पताल के कर्मचारियों और चिकित्सकों ने भी हिंदी भाषा के महत्व पर विचार व्यक्त किए और इसे कार्यसंस्कृति तथा जीवनशैली में अधिक से अधिक अपनाने का संकल्प लिया।

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