




पचंबा का ऐतिहासिक गौशाला मेला शुरू, उदघाटन के साथ ही जलपरी का खेल देखने उमड़े लोग
नगर विकास मंत्री सुदिब्य कुमार सोनू ने किया 128वां गोपाल गौशाला मेला का उद्घाटन, कहा-संस्थाओं को किसी भी प्रकार की राजनीति से दूर रहना चाहिए, संस्थाएं किसी दल की नहीं, समाज की होती हैं, गौशाला का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ गायों की सेवा और विकास होना चाहिए

डीजे न्यूज, पचम्बा (गिरिडीह): पचम्बा इन दिनों भक्ति, परंपरा और लोक संस्कृति के रंग में रंगा हुआ है। 128वें गोपाल गौशाला मेला का भव्य शुभारंभ झारखंड के नगर विकास मंत्री सुदिब्य कुमार सोनू ने किया। उद्घाटन अवसर पर मंत्री सोनू ने कहा कि128 वर्ष पूर्व जिन्होंने इस गौशाला की नींव रखी, वे सच्चे समाजसेवी थे। बेजुबानों की सेवा करना ही भगवान की सेवा है। हर धर्म में इसका उपदेश मिलता है।

उन्होंने कहा कि सरकार गौशाला के विकास की भागीदार है, इसीलिए गौशाला की देखरेख के लिए एसडीओ स्तर के अधिकारी को अध्यक्ष बनाया गया है ताकि संस्थान का पारदर्शी विकास हो सके। मंत्री ने जोर देकर कहा किसंस्थाओं को किसी भी प्रकार की राजनीति से दूर रहना चाहिए। संस्थाएं किसी दल की नहीं, समाज की होती हैं। गौशाला का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ गायों की सेवा और विकास होना चाहिए। मंत्री सोनू ने कहा किबेजुबानों की सेवा हर धर्म का मूल उपदेश है। धार्मिक व्यक्ति कभी जानवरों पर अत्याचार नहीं कर सकता। गौशाला मेला ऐतिहासिक है — इसे राज्य ही नहीं, देशभर में पहचान दिलाने की जरूरत है। इस मौके पर एसपी डॉ. विमल कुमार, एसडीओ श्रीकांत विपुते (अध्यक्ष), डीएसपी कौशर अली, नीरज सिंह, मंटू कुमार, मुफस्सिल थाना प्रभारी श्याम किशोर महतो, कार्यकारी प्रदीप डोकनिया, सचिव प्रवीन बगैड़िया, सह सचिव नीलू केडिया, कोषाध्यक्ष संजय भूदौलिया, संयोजक मुकेश साहू, सह संयोजक अजय राय, मुकेश जलान, गोपाल बगैड़िया, बांके बिहारी शर्मा, और पचम्बा थाना प्रभारी राजीव कुमार सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे। इस बार का गौशाला मेला बेहद आकर्षक और मनोरंजक बनाया गया है।
प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से आई सांस्कृतिक टीमों द्वारा प्रतिदिन अलग-अलग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। मेले का मुख्य आकर्षण बना हुआ है “जलपरी का खेल”, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इसके अलावा चलंत झूला, 36 डिग्री का झूला, मौत का कुंआ और देशभर से आई विविध दुकानों ने मेले को एक नई ऊंचाई दी है। पचम्बा का यह ऐतिहासिक मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह समाजसेवा, लोक परंपरा और जनसंपर्क का उत्सव बन चुका है।
