पांच दिसंबर की दिल्ली रैली प्रशासनिक रोक के बाद स्थगित, शिक्षकों में आक्रोश टेट की अनिवार्यता के खिलाफ अब सांसदों को ज्ञापन सौंपकर शुरू होगी नई मुहिम

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पांच दिसंबर की दिल्ली रैली प्रशासनिक रोक के बाद स्थगित, शिक्षकों में आक्रोश
टेट की अनिवार्यता के खिलाफ अब सांसदों को ज्ञापन सौंपकर शुरू होगी नई मुहिम
डीजे न्यूज, धनबाद : टेट की अनिवार्यता के विरोध में टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा केंद्र सरकार के समक्ष एक सम्मानजनक संख्या के साथ विशाल रैली आयोजित करने की घोषणा की गई थी। इस आंदोलन को देशभर के शिक्षकों का व्यापक समर्थन मिल रहा था, लेकिन प्रशासनिक प्रतिबंधों के कारण कार्यक्रम को तत्काल स्थगित करने की घोषणा की गई है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ एवं टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के हवाले से शिक्षक नेता राजकुमार वर्मा ने यह जानकारी दी है।
फेडरेशन के अनुसार एमसीडी, दिल्ली और दिल्ली पुलिस द्वारा प्रारंभिक स्वीकृति मिलने के बाद भी बिना किसी स्पष्ट कारण के रामलीला मैदान देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद रैली को जंतर–मंतर शिफ्ट किए जाने का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन वहां भी केवल 300 लोगों की संख्या में ही कार्यक्रम की अनुमति दी गई। इसके आगे अधिक संख्या में उपस्थित होने पर प्रशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। फेडरेशन ने कहा कि यह स्थिति पूरी तरह अव्यवहारिक, अनावश्यक और अनुचित है क्योंकि टेट की अनिवार्यता का मुद्दा लाखों शिक्षकों को प्रभावित करता है। ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर सैकड़ों की सीमा निर्धारित कर आवाज उठाने की अनुमति देना लोकतांत्रिक और मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है। बयान में स्पष्ट कहा गया है कि शिक्षकों का फेडरेशन इतनी सीमित संख्या में सरकार के निर्देशों के अनुसार आंदोलन की रूपरेखा स्वीकार नहीं कर सकता। यह अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्ण सभा करने के मौलिक अधिकार का हनन है। इसी परिस्थिति के मद्देनजर 5 दिसंबर की दिल्ली धरना/रैली को तत्काल स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह पीछे हटना नहीं, बल्कि नई रणनीति के तहत आंदोलन का विस्तार है।
अब आंदोलन की आगे की दिशा
5 से 7 दिसंबर के बीच देशभर के शिक्षक अपने–अपने सांसदों को ज्ञापन सौंपेंगे।
इसके बाद नई प्रशासनिक स्वीकृति लेकर फिर से बड़े स्तर पर कार्यक्रम की तैयारी की जाएगी।
संगठन ने कहा कि दिल्ली रैली की तैयारी कर चुके शिक्षकों को हो रही परेशानी को वे पूरी तरह महसूस करते हैं, लेकिन यह स्थिति शासन–प्रशासन द्वारा पैदा की गई है। बयान में कहा गया कि अगर सरकार हमें अल्प संख्या सीमा में बांधना चाह रही है, इसका मतलब उसके इंटेलिजेंस इनपुट उसे चेताने वाले लगे होंगे। तमाम बाधाओं के बावजूद हम आगे बढ़ेंगे। फेडरेशन ने अंत में एक बार फिर स्पष्ट किया कि आंदोलन शांतिपूर्ण, संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से जारी रहेगा तथा शिक्षक समुदाय की आवाज़ हर स्तर पर बुलंद की जाएगी।

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