

नहीं रहे सीपीएम के वरिष्ठ नेता कामरेड इकबाल दा,
तीन दिनों तक पार्टी कार्यालयों पर झूका रहेगा लाल झंडा
डीजे न्यूज, रांची /साहेबगंज: संताल परगना के पाकुड़ – साहेबगंज जिले में ‘मास्टर’ के नाम से विख्यात कामरेड इकबाल दा (74 वर्ष) नहीं रहे। वे पिछले दो माह से बीमार चल रहे थे। कोलकाता और बर्दवान के अस्पतालों में उनका इलाज वला, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
वे साहेबगंज जिले के बरहरवा प्रखंड का दिलालपुर गांव के रहने वाले थे। उनके गांव के कब्रिस्तान में उन्हें मंगलवार को सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। उनके जनाजे में शामिल होने के लिए अगल – बगल के जिलों से दर्जनों पार्टी कार्यकर्ता रवाना हो गए हैं। पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए शोक संतृप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि उनके निधन से पार्टी को भारी क्षति हुई है जिसकी भरपाई संभव नहीं है।
सरल स्वभाव के थे इकबाल
कामरेड इकबाल एक अद्भुत व्यक्तित्व के लोकप्रिय नेता थे। उनका सरल स्वभाव और किसी के भी मुसीबत में मदद के लिए तत्पर हो जाना उनकी दिनचर्या में शामिल था। अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत उन्होंने मेहनतकशों के संगठनकर्ता के रुप में की और बाद में वे उस क्षेत्र के एक प्रमुख ट्रेड यूनियन नेता के रूप में स्थापित हुए। उन्होंने परिवहन, बीड़ी, मैरी गोल्ड रेलवे के ठेका कामगारों समेत विभिन्न प्रकार के मजदूरों को सीटू में संगठित करने का काम किया। साल 1979 में वे सीपीएम के सदस्य बने। वे दो बार पाकुड़ विधानसभा से पार्टी के प्रत्याशी भी रहे थे। वर्तमान में वे भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिवमंडल सदस्य तथा सीटू के राज्य उपाध्यक्ष थे। लगभग 10 वषों तक वे पार्टी की साहेबगंज जिला कमिटी के सचिव भी रहे। उनके नेतृत्व में साहेबगंज दियारा के अनसर्वे जमीन का मामला हो या खासमहल का या शेरशाहवादी युवाओं की समस्या हो लगातार आंदोलन किया गया। दियारा क्षेत्र मे बाढ़ पीडितों के बीच राहत कार्य संगठित करने में वे अग्रणी भूमिका निभाते थे। उन्हें क्षेत्र की हर समस्या की गहरी समझ थी। इसलिए विभिन्न पार्टियों के लोग उनसे हमेशा राय – मशविरा करते थे। साहेबगंज जिले के बरहरवा प्रखंड का दिलालपुर गांव उनका पुश्तैनी घर है जहां उन्होने शिक्षा देने का भी काम किया।
