नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा कर रही प्रतिशोध की राजनीति : डॉली शर्मा 

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नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा कर रही प्रतिशोध की राजनीति : डॉली शर्मा 

भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने धनबाद में किया पलटवार 

डीजे न्यूज, धनबाद : कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डाली शर्मा ने धनबाद में कहा कि भाजपा नेशनल हेराल्ड मामले में अपना प्रतिशोध साध रही है। उनका आरोप है कि इस मामले का न तो कोई कानूनी पहलू है और न ही नैतिक। भाजपा का उद्देश्य केवल कांग्रेस नेताओं को बदनाम कर उनकी छवि धूमिल करना है, ताकि देश का ध्यान वास्तविक मुद्दों से दूर रहे। इस मौके पर जिलाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह समेत कई कांग्रेसी नेता मौजूद थे।

डाली शर्मा ने कहा कि भाजपा महंगाई, बेरोजगारी और लोकतंत्र के संघर्ष जैसे मुद्दों पर कांग्रेस का सामना नहीं कर सकती। इसलिए वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) और आयकर विभाग (आइटी) जैसे सरकारी संस्थानों का दुरुपयोग कर रही है।

नेशनल हेराल्ड की महत्ता

डाली शर्मा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड एक राष्ट्रीय विरासत है, जिसकी स्थापना पंडित जवाहरलाल नेहरू और स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। यह एक गैर-लाभकारी मीडिया हाउस है, जिसका उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि सच्चाई को सामने लाना है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सच्चाई से डर रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता शर्मा ने कहा कि गांधी से अंग्रेज डरते थे और आज भाजपा के अंदर भय सता रहा है। इसलिए अब पार्टी यह लड़ाई जनता के साथ मिलकर सड़कों पर लड़ेगी।

पत्रकारों के साथ एकजुटता

धनबाद में पत्रकारों पर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राशिद रजा अंसारी और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए हमले को लेकर डाली शर्मा ने कहा कि पूरी पार्टी पत्रकारों के साथ है। आरोपित को स्पष्टीकरण जारी किया गया है और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।

नेशनल हेराल्ड के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :

– स्थापना: 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य आवाज के रूप में की गई थी।

– उद्देश्य : संघर्ष का मुखपत्र बनना, न कि मुनाफा कमाना।

– एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL):इसकी स्थापना 1937-38 में हुई थी और इसका उद्देश्य अखबारों को प्रकाशित करना था।

– कांग्रेस पार्टी का समर्थन: कांग्रेस पार्टी ने 2002 से 2011 के बीच AJL को 90 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जिसका इस्तेमाल वेतन, पीएफ, वीआरएस और लंबित बिजली बिलों के भुगतान में किया गया था।

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