
नाबालिग छात्रा को अगवा करने वाले साजिद को सात साल कारावास
साक्ष्य के अभाव में मां हुई बरी
डीजे न्यूज, गिरिडीह: धनवार थाना क्षेत्र की नाबालिग छात्रा के अपहरण मामले में विशेष पॉक्सो न्यायालय ने अभियुक्त साजिद अंसारी उर्फ बाबू को सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 25 हजार रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है, जिसे न भरने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
विशेष न्यायाधीश ने सुनाया फैसला
पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश यशवंत प्रकाश की अदालत ने बुधवार को यह सजा सुनाई। वहीं, साजिद की मां हसीरन खातून को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। अदालत ने अभियुक्त को पहले ही दोषी ठहराते हुए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें
सजा के निर्धारण के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता देवेंद्र पांडेय ने न्यूनतम सजा की मांग की, यह तर्क देते हुए कि पीड़िता ने घटना से इनकार किया था। दूसरी ओर, लोक अभियोजक सुधीर कुमार ने अधिकतम सजा की मांग की, यह कहते हुए कि नाबालिग छात्रा को घर से सरेआम अगवा किया गया था, जो गंभीर अपराध है।
कैसे हुआ था अपहरण?
मामला 10 जून 2018 का है, जब पीड़िता अपने घर से शौच के लिए निकली थी। तभी साजिद अंसारी ने अपने साथियों संग मिलकर उसे जबरन मोटरसाइकिल पर बैठाकर अगवा कर लिया। इस घटना को लेकर छात्रा के भाई ने धनवार थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
पीड़िता ने न्यायालय में किया इनकार, लेकिन साक्ष्यों के आधार पर फैसला
मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता ने घटना से इनकार कर दिया था। हालांकि, अन्य चश्मदीदों और साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने साजिद को दोषी करार दिया।
गवाही के दौरान पीड़िता अपने माता-पिता के पास लौटने को तैयार नहीं थी, जिसके बाद उसे सुधार गृह, देवघर भेज दिया गया। बालिग होने के बाद उसने अपनी मर्जी से अलग जगह जाने का निर्णय लिया।
न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर दिया फैसला
सभी गवाहों और चश्मदीदों की गवाही को मद्देनजर रखते हुए अदालत ने साजिद अंसारी को दोषी ठहराया और सात साल की सजा सुनाई। वहीं, पर्याप्त सबूतों के अभाव में उसकी मां को रिहा कर दिया गया।