

मुख्य न्यायाधीश पर हुए हमले की कड़ी निंदा, विक्षोभ प्रदर्शन
डीजे न्यूज, धनबाद: मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हुए हमले के विरोध में अंबेडकरवादी संगठन, दलित तथा अन्य वर्गों की ओर से मंगलवार को रणधीर वर्मा चौक से अंबेडकर चौक तक विरोध मार्च निकाला गया। नेतृत्व अधिवक्ता शशि भूषण ने की।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पर हमला क्यों केंद्र सरकार जवाब दो, मनुवाद मुर्दाबाद, संविधानबाद जिंदाबाद, आरएसएस को प्रतिबंध करो, नारा लगाते हुए रणधीर वर्मा चौक से होते हुए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष कार्यक्रम समाप्त किया गया।
शशि भूषण ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की निंदनीय घटना की कड़ी भर्त्सना की है। यह घटना न केवल न्यायपालिका की गरिमा पर हमला है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति बढ़ती असहिष्णुता का गंभीर संकेत भी है।
यह अत्यंत आपत्तिजनक और स्तब्ध कर देने वाली बात है कि सर्वोच्च न्यायालय की खुली अदालत में एक अधिवक्ता द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंका गया और “सनातन धर्म” के नाम पर नारेबाजी की गई। यह कृत्य न्यायालय की गरिमा और शुचिता पर सीधा प्रहार है।
अंबेडकरवादी तथा दलित संगठन ने मांग की है कि इस घटना में शामिल अधिवक्ता, जो सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन में पंजीकृत हैं और जिन्हें हिरासत में लिया गया है, के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
शिव बालक पासवान ने कहा कि हाल के दिनों में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और पार्टी नेताओं द्वारा खुलेआम किए जा रहे जातिवादी, मनुवादी और सांप्रदायिक बयानों ने ऐसे असामाजिक तत्वों को प्रोत्साहित किया है। समाज में नफरत और विभाजन फैलाने वाले ये विचार न्यायपालिका सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर दबाव बनाने और उन्हें ध्वस्त करने की साज़िश का हिस्सा हैं।
मानना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता, गरिमा और संविधान के मूल मूल्यों की रक्षा करना हर नागरिक और राजनीतिक दल का दायित्व है।
यह संघ परिवार असहिष्णुता और उनकी विचारधारा के विपरीत किसी भी विचार को स्वीकार करने की अनिच्छा को भी दर्शाता है। केंद्र सरकार मुख्य न्यायाधीश बी.आर.
गवई की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करें। सरकार को असहिष्णुता फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों से शक्ति से निपटना चाहिए, साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। पर इसकी उम्मीद नहीं है कि केंद्र सरकार ऐसा करेगी।
कार्यक्रम में आईडी पासवान, दलित शोषण मुक्ति मंच के झारखंड , नेशनल फेडरेशन वाफ अंबेडकर मिशन के अध्यक्ष दिनेश प्रसाद, अमित कुमार पासवान, बृजनंदन प्रसाद, अजय कुमार हाजरा, मुन्ना कुमार पासवान, मकसूद आलम, मोहित प्रसाद तुरी, संतोष कुमार पासवान ,दिनेश कुमार दास, गुड्डू शाह ,गणेश दास, मधेश्वरी प्रसाद भास्कर रजक, जबीर हुसैन, अधिवक्ता एमडी फिरोज राजा कुरैशी, दिनेश पासवान, मनोज कुमार पासवान, धनंजय रजक, अशोक कुमार पासवान, अधिवक्ता रघुनाथ राम, रविंद्र कुमार थे।
