मरांगबुरू बचाओ आंदोलन : अतिक्रमण के खिलाफ संथाल आदिवासियों का महाजुटान

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मरांगबुरू बचाओ आंदोलन : अतिक्रमण के खिलाफ संथाल आदिवासियों का महाजुटान

प्रदर्शन कर प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

डीजे न्यूज, पीरटांड़(गिरिडीह) : झारखंड की सर्वोच्च चोटी पारसनाथ में बुधवार को “मरांगबुरू बचाओ, अतिक्रमण हटाओ” के नारे गूंजते रहे। संथाल आदिवासी समाज ने अपने हक-अधिकार की रक्षा और अतिक्रमण के खिलाफ विशाल प्रदर्शन किया। इस महाजुटान में झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा बिहार और बंगाल से भी हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग पहुंचे।

भव्य जुलूस और मांझीथान में पूजा-अर्चना

संथाल आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक हथियार, ढोल-नगाड़ों के साथ मधुबन स्थित मकर संक्रांति मेला मैदान में एकत्र हुए। यहां से भव्य जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए दिशोम मांझीथान पहुंचे। मांझीथान में सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना करने के बाद प्रदर्शनकारी पुनः मेला मैदान लौटे, जहां एक सभा का आयोजन किया गया।

सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी नेताओं ने पारसनाथ में बढ़ते अतिक्रमण का विरोध किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मरांगबुरू आदिवासियों का पवित्र स्थल है, जहां वे आदिकाल से पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि वन विभाग की मिलीभगत से जैन समाज ने पूरे पहाड़ पर अवैध रूप से 50 से अधिक मंदिरों का निर्माण कर लिया है, जबकि झारखंड उच्च न्यायालय के 2004 के आदेश के अनुसार, केवल 86 डिसमिल जमीन पर ही पूजा की अनुमति दी गई है।

महीनों से चल रही थी तैयारी

मरांगबुरू बचाओ संघर्ष मोर्चा के बैनर तले इस आंदोलन की तैयारी महीनों से चल रही थी। विभिन्न आदिवासी संगठनों के साथ बैठकें और व्यापक प्रचार-प्रसार के बाद इस रैली को आयोजित किया गया। इस महाजुटान में संथाल समाज के हजारों लोग अपनी संस्कृति और धार्मिक स्थल की रक्षा के लिए एकजुट हुए।

एसडीएम को सौंपा गया ज्ञापन

मरांगबुरू बचाओ आंदोलन के दौरान आयोजकों ने डुमरी एसडीएम जितराय मुर्मू और सीओ गिरिजानंद किशकू को राष्ट्रपति के नाम पांच सूत्री मांग पत्र सौंपा।

मांग पत्र में निम्नलिखित प्रमुख मांगे रखी गईं:

मरांगबुरू को संथाल समाज का पवित्र स्थल घोषित किया जाए।

पारसनाथ पहाड़ में हुए अवैध अतिक्रमण को तत्काल हटाया जाए।

मरांगबुरू संस्थान के संस्थापक अजय टुडु की हत्या की सीबीआई जांच कराई जाए।

सरना धर्म कोड को लागू किया जाए।

संथाल समाज की संस्कृति और धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जाए।

वक्ताओं ने कहा कि मरांगबुरू संथाल समाज की धार्मिक आस्था का केंद्र है, जिसे जैन समाज अपना बताकर अतिक्रमण कर रहा है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

प्रशासन ने ज्ञापन स्वीकार कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। संथाल समाज ने साफ कर दिया है कि वे अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

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