
मधुबन में अतिक्रमण हटाने की तैयारी, प्रशासन ने गठित की जांच टीम
डीजे न्यूज, पीरटांड़, गिरिडीह :
मधुबन क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए प्रशासन ने कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। लोक भूमि, वन भूमि और अन्य सरकारी जमीनों पर हुए अतिक्रमण की जांच कर रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी जाएगी। इस कार्रवाई के लिए प्रशासन की ओर से अपर समाहर्ता, अंचलाधिकारी (सीओ), प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ), राजस्व कर्मचारी और अमीन की एक विशेष टीम गठित की गई है, जो क्षेत्र में व्यापक जांच कर रही है।
पारसनाथ से बिरिंनगड्डा तक होगी जांच
सीओ गिरिजानंद किष्कु ने बताया कि जांच टीम पारसनाथ पहाड़ से लेकर मधुबन बिरिंनगड्डा तक का सर्वेक्षण कर रही है। जहां भी अतिक्रमण पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उपायुक्त के निर्देश पर ही यह जांच शुरू की गई है।
गुणायतन संस्था पर नदी कब्जाने का आरोप
सीओ ने बताया कि जेकेएलएम की ओर से भी शिकायत मिली है, जिसमें गुणायतन संस्था पर सरकारी नदी पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। इस संबंध में डुमरी एसडीएम और पीरटांड़ सीओ को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की गई है। आरोप है कि संस्था द्वारा नदी के किनारे भवन निर्माण किया जा रहा है।
गरीबों पर कार्रवाई, रसूखदारों पर चुप्पी का आरोप
जेकेएलएम के नेताओं सुरेंद्र महतो, दीपक मंडल, गाजो महतो और नरेश महतो ने आरोप लगाया कि प्रशासन गरीबों पर कार्रवाई कर रहा है, जबकि रसूखदारों को संरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मधुबन की दिव्यांग महिला बुधनी के प्रधानमंत्री आवास को वन विभाग की भूमि बताकर तोड़ दिया गया, लेकिन वन भूमि, नदी और पहाड़ों पर किए गए बड़े अतिक्रमण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
नदी के अस्तित्व पर संकट
मधुबन के पूर्व मुखिया निर्मल तुरी ने भी अतिक्रमण पर चिंता जताते हुए कहा कि मधुबन की सरकारी नदी पहले बहुत चौड़ी थी, लेकिन लगातार अतिक्रमण के कारण संकरी हो गई है और अब इसके विलुप्त होने का खतरा है। उन्होंने मांग की कि अवैध कब्जों की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए।
जल्द होगी सख्त कार्रवाई
अंचलाधिकारी गिरिजानंद किष्कु ने स्पष्ट किया कि मधुबन में अतिक्रमण की लंबी सूची है और इस संबंध में बार-बार शिकायतें मिलती रही हैं। उपायुक्त के निर्देश पर इस बार सभी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।