
मारांग बुरु बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा आदिवासी समाज
पारसनाथ पहाड़ की चोटी पर स्थित जुग जाहेरथान और तलहटी में स्थित दिशोम मांझी थान न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र हैं, बल्कि संथाल समुदाय की आस्था और पहचान के केंद्र भी हैं
डीजे न्यूज, पीरटांड़(गिरिडीह) : मारांग बुरु बचाओं संघर्ष मोर्चा की दो दिवसीय बैठक का समापन बुधवार को हुआ, जिसमें आदिवासी संथाल समाज के प्रतिनिधियों ने एक स्वर में संकल्प लिया कि मारांग बुरु (पारसनाथ पर्वत) की पवित्रता और धार्मिक अस्तित्व को बचाने के लिए देशभर के आदिवासी समाज को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
बैठक में मारांग बुरु बचाओं संघर्ष मोर्चा की प्रस्तावना, संगठनात्मक ढांचा और समिति का विस्तारीकरण किया गया। वक्ताओं ने कहा कि मारांग बुरु, आदिवासी संथाल समाज के “इस्ट देवता” हैं, जिन्हें आदि-अनादिकाल से ईश्वर के रूप में पूजा जाता आ रहा है। पहाड़ की चोटी पर स्थित जुग जाहेरथान (सरना स्थल) और तलहटी में स्थित दिशोम मांझी थान न केवल धार्मिक दृष्टि से पवित्र हैं, बल्कि संथाल समुदाय की आस्था और पहचान के केंद्र भी हैं।
नेताओं ने स्पष्ट कहा कि यह स्थान पूरे संथाल समाज के लिए सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक तीर्थ स्थल है। इसे बचाने के लिए मोर्चा हर स्तर पर संघर्ष करेगा और आवश्यकता पड़ने पर कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाएगी।
बैठक में निर्णय लिया गया कि आने वाले समय में प्रमंडल स्तरीय बैठकें आयोजित की जाएंगी और सभी आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रतिनिधियों (मांझी, परगनैत), समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों और गणमान्य लोगों को माराङ बुरु बचाओं संघर्ष मोर्चा से जोड़ा जाएगा, ताकि यह आंदोलन और व्यापक और मजबूत हो सके। वक्ताओं ने यह भी आह्वान किया कि देश के सभी आदिवासी समाज, चाहे वे किसी भी राज्य में रहते हों, इस पवित्र स्थल की रक्षा के लिए आगे आएं और अपनी आस्था एवं परंपरा को बचाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करें। बैठक में मोर्चा के अध्यक्ष फागू बेसरा, रामलाल मुर्मू, हीरालाल मांझी, सोनाराम मांझी, दिलीप मुर्मू, एतवारी हेम्ब्रम आदि मौजूद थे।