मॉडल स्कूल पीरटांड़ में न शिक्षक न भवन, प्रतिभा तोड़ रही दम 

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मॉडल स्कूल पीरटांड़ में न शिक्षक न भवन, प्रतिभा तोड़ रही दम

 दो शिक्षकों के कंधों पर छह कक्षाओं का जिम्मा, व्यवस्था बेपरवाह

मंत्री सुदिव्य सोनू के विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों का हाल 

डीजे न्यूज, पीरटांड़ (गिरिडीह) : जिस स्कूल में दाखिला पाना बच्चों का सपना होता था। प्रतियोगिता पास करने के बावजूद मेधा सूची में नाम नहीं आने पर नामांकन नहीं हो पाता था, आज वही पीरटांड़ मॉडल स्कूल अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। कभी जहां सैकड़ों छात्र प्रतियोगिता परीक्षा देकर नामांकन की होड़ में रहते थे, आज वहां नामांकन के लिए छात्र तक नहीं मिल रहे। कारण शिक्षकों की भारी कमी और अधूरे भवनों का दर्द। यह हाल है सूबे के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू के विधानसभा क्षेत्र के मॉडल स्कूल का।

तीन शिक्षक, अब दो ही बचे

इस प्रखंड स्तरीय अंग्रेजी माध्यम मॉडल स्कूल में कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई होती है। लेकिन शुरुआत में नियुक्त तीन शिक्षकों में से एक शिक्षक का चयन प्लस टू स्कूल में हो गया, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अब दो शिक्षक बचे हैं, जिनके कंधों पर छह कक्षाओं का जिम्मा है। एक शिक्षक को प्रतिनियुक्त किया गया है, पर वह भी स्थायी नहीं हैं। 144 छात्रों पर सिर्फ दो शिक्षकों का बोझ शिक्षा की गुणवत्ता को दर्शाता है।

पांच साल से अधूरा भवन, पढ़ाई बगल के पुराने भवन में

स्कूल की स्थापना के बाद जब संचालन के लिए जगह नहीं मिली, तो इसे पास के उच्च विद्यालय कुकारलालो में चलाया गया। बाद में बगल के पुराने भवन में कक्षाएं लगने लगीं। वर्ष 2019 में एक विशाल स्कूल भवन का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन पांच साल बाद भी वह अधूरा है। अब तक सिर्फ डीपीसी तक का काम हुआ है। भवन में न तो कक्षा-कक्ष हैं, न ही आवश्यक सुविधाएं।

अभावों के बीच गूंजती उपलब्धियां

संसाधनों की भारी कमी के बावजूद स्कूल के छात्रों ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। हाल ही में छात्रा स्मृति कुमारी ने लगभग 97% अंक प्राप्त कर जिले में टॉप किया और राज्य स्तर पर 9वां स्थान पाया। मेडिकल परीक्षा में भी स्कूल के तीन छात्रों का चयन पहले ही हो चुका है। अंकांक्षा परीक्षा में भी दो छात्रों ने पास कर प्रखंड का नाम रोशन किया है।

आदेश मिले, पर पालन नहीं

स्कूल के प्रधान शिक्षक अरविंद कुमार मिश्रा बताते हैं कि दिसंबर 2024 में प्लस टू उच्च विद्यालय से शिक्षकों को मॉडल स्कूल में पढ़ाने का निर्देश मिला था, पर आदेश लागू नहीं हुआ। जबकि उच्च विद्यालय में शिक्षक उपलब्ध हैं। बार-बार डीईओ से लेकर विधायक तक शिकायत की गई, लेकिन केवल आश्वासन मिला।

प्रबंधन समिति की भी बेबसी

मॉडल स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भोला प्रसाद वर्मा कहते हैं, “हम स्कूल को सही तरीके से चलाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन शिक्षक और भवन की कमी सबसे बड़ी बाधा है। कई बार वरीय अधिकारियों से मिलकर गुहार लगाई, अब सीधे उपायुक्त से मिलने की योजना है।”

सवाल ये है : जब प्रतिभा है, परिणाम है, तो व्यवस्था की चुप्पी क्यों?

एक ओर राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करती है, दूसरी ओर मॉडल स्कूल जैसे संस्थान उपेक्षा के शिकार हैं। अगर समय रहते शिक्षक और भवन की व्यवस्था नहीं की गई, तो यह स्कूल भी प्रतिभा होते हुए दम तोड़ देगा।

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