
लातेहार में बगैर शिक्षक चल रहा आदिवासी विद्यालय, 112 छात्रों के भविष्य से खिलवाड़
प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ उठ रही आवाज, समाधान की राह देख रहे अभिभावक
डीजे न्यूज, महुआडांड़(लातेहार) : राजकीय अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय, महुआडांड़, शिक्षा के क्षेत्र में लापरवाही की एक बड़ी मिसाल बनता जा रहा है। विद्यालय में कुल 112 छात्र नामांकित हैं, लेकिन एक भी स्थायी शिक्षक मौजूद नहीं है। बच्चों के माता-पिता उन्हें बेहतर भविष्य के लिए विद्यालय में छोड़ते हैं, परंतु यहां की व्यवस्था देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो चला है।
विद्यालय की सारी व्यवस्था केवल एक किरानी लक्ष्मण उरांव और एक नाइट गार्ड अशोक बड़ाइक के भरोसे चल रही है। 7वीं से 10वीं तक की कक्षाओं की पढ़ाई यहां होती है, लेकिन शिक्षक के अभाव में छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित है।
अनिश्चितता में घंटी टीचर, वेतन भी रुका
घंटी शिक्षक के तौर पर कार्यरत तीन शिक्षिकाएं अनुबंध समाप्त होने के बाद भी विद्यालय आती हैं, परंतु उनका भविष्य भी अधर में है। उनका कहना है कि 31 मार्च को अनुबंध समाप्त हो चुका है, और इसके बाद किसी प्रकार की सूचना नहीं दी गई है। दिसंबर माह के बाद उनका वेतन भी नहीं मिला है। विद्यालय आती तो हैं, पर उपस्थिति दर्ज नहीं होती।
रसोइया गायब, छात्रों के भोजन पर भी संकट
सरकारी रसोइए विवेकानंद बृजिया का रवैया भी बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। जानकारी के अनुसार वह महीने में केवल एक दिन हाजिरी लगाने आता है और फिर गायब हो जाता है। पहले उसने अपनी जगह बुधराम नगेसिया को काम पर लगाया था, जो अब स्वयं नहीं आ रहा। फिलहाल, निर्माण संस्थान द्वारा नियुक्त लिबनुस कुजुर और निलेश नगेसिया भोजन की व्यवस्था संभाल रहे हैं।
प्राचार्य लापता, सवालों से बच रहे अधिकारी
विद्यालय के प्राचार्य गिरजा राम से जब फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कॉल तक रिसीव नहीं किया। इससे स्पष्ट होता है कि जिम्मेदार अधिकारी भी स्थिति से आंखें मूंदे हुए हैं।
प्रखंड विकास पदाधिकारी ने लिया संज्ञान
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अंचलाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष बैठा ने मामले पर संज्ञान लेते हुए वरीय अधिकारियों को अवगत कराया है। उन्होंने विद्यालय की खामियों, शिक्षकों की अनुपस्थिति और रसोइए की लापरवाही की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या वरीय अधिकारी इस संवेदनशील मामले में जल्द कार्रवाई करेंगे या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?