लातेहार के महुआडांड़ के बच्चों को आज भी कॉलेज की पढ़ाई के लिए तय करना पड़ता है सौ किमी. का सफर 

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लातेहार के महुआडांड़ के बच्चों को आज भी कॉलेज की पढ़ाई के लिए तय करना पड़ता है सौ किमी. का सफर 

महुआडांड़ अनुमंडल बन गया, लेकिन सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं खुला 

छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा है महुआडांड़, उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं बच्चे 

डीजे न्यूज, महुआडांड़ (लातेहार) : छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा लातेहार जिले का यह महुआडांड़ प्रखंड सह अनुमंडल है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि आजादी के 78 साल बाद भी इस सुदूर प्रखंड सह अनुमंडल में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है। स्नातक की पढ़ाई के लिए यहां के बच्चों को करीब सौ से डेढ़ सौ किमी. दूर जाना पड़ता है। यह सभी के लिए संभव नहीं है।

सो, यहां के गरीब छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित हैं। अनुमंडल मुख्यालय होने के बावजूद अब तक सरकारी कॉलेज की स्थापना न होने से विद्यार्थियों को स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है।

लंबी दूरी और महंगी फीस से टूट रहा गरीब छात्रों का सपना

महुआडांड़ में सिर्फ एक निजी शिक्षण संस्थान ईसाई मिशनरी का संत जेवियर कॉलेज है, जहां एडमिशन के लिए फीस ली जाती है। इससे आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। सरकारी कॉलेज नहीं होने की वजह से छात्रों को 150 किलोमीटर दूर लातेहार, 100 किलोमीटर डाल्टनगंज या 200 किलोमीटर दूर रांची जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है, जो उनके लिए महंगा और कठिन साबित हो रहा है।

महुआडांड़ प्रखंड के सिदरा गांव निवासी नंद किशोर बैठा ने सरकार से मांग की है कि महुआडांड़ प्रखंड में एक सरकारी डिग्री कॉलेज होना चाहिए जिससे हमारे बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई कर सके। यहां सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं रहने के कारण हमारे बच्चे बहुत दूर जैसे रांची, डाल्टनगंज, लातेहार चले जाते हैं और पूरा पढ़ाई भी नहीं कर पाते।

उन्होंने सरकार से अपील की है कि महुआडांड़ प्रखंड में एक सरकारी डिग्री डिग्री कॉलेज दें ताकि हम गरीब के बच्चे कम पैसा में आगे की पढ़ाई कर सके। महुआडांड़ की बेटी मंजू टोप्पो ने भी सरकार से वहां डिग्री कॉलेज खोलने की गुहार लगाई है।

महुआडांड़ वासियों ने की सरकारी डिग्री कॉलेज की मांग

स्थानीय लोगों ने राज्य सरकार से महुआडांड़ में जल्द से जल्द एक सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि यहां सरकारी कॉलेज खुलता है तो गरीब छात्र-छात्राएं भी सस्ती और सुलभ शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और उन्हें दूर-दराज के शहरों में भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

महुआडांड़ के ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग को जल्द पूरा नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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