कराईकेला उपस्वास्थ्य केंद्र बदहाल, डॉक्टर व सुविधाओं का घोर अभाव: समीर पूर्ति

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कराईकेला उपस्वास्थ्य केंद्र बदहाल, डॉक्टर व सुविधाओं का घोर अभाव: समीर पूर्ति

छह पंचायतों की 50 हजार आबादी बेहाल, टेबो घाटी दुर्घटनाओं से मौत का सिलसिला जारी

डीजे न्यूज, बंदगांव (पश्चिमी सिंहभूम) :

बंदगांव प्रखंड अंतर्गत कराईकेला उपस्वास्थ्य केंद्र सरकार की उपेक्षा और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का शिकार बना हुआ है। स्थानीय समाजसेवी समीर पूर्ति ने इस केंद्र की बदहाली पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि अस्पताल में न डॉक्टर हैं, न समुचित दवाइयां और न ही मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।

समीर पूर्ति ने बताया कि कराईकेला, नकटी, हुडंगदा, भालुपानी, ओटार और लान्डुपदा पंचायतों की लगभग 50 हजार की आबादी इस अस्पताल पर निर्भर है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां सिर्फ शुक्रवार को कुछ घंटों के लिए एक डॉक्टर आते हैं। शेष छह दिनों में मरीजों को इलाज के लिए चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल जाना पड़ता है, जिससे समय, पैसा और कई बार जान भी चली जाती है।

उन्होंने बताया कि टेबो घाटी में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन अस्पताल में एक भी बेड की सुविधा नहीं है, न ही आपातकालीन इलाज की कोई व्यवस्था। मरीजों को सिर्फ नाममात्र की दवाएं देकर रवाना कर दिया जाता है।

सबसे गंभीर बात यह है कि यहां प्रतिदिन महिलाओं के प्रसव बिना डॉक्टर की मौजूदगी में हो रहे हैं। हर महीने लगभग 45 से 50 प्रसव कराईकेला अस्पताल में होते हैं, जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है।

समीर पूर्ति ने स्वास्थ्य विभाग से निम्नलिखित मांगें रखीं:

अस्पताल में 24 घंटे डॉक्टर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए

दवाओं, बेड और जांच उपकरणों की पर्याप्त व्यवस्था हो

एनएच-75 से अस्पताल तक पक्की सड़क का निर्माण किया जाए

अस्पताल परिसर में चारदीवारी का निर्माण किया जाए

अधूरा भवन जल्द पूर्ण हो और स्थायी चिकित्सक की नियुक्ति की जाए

उन्होंने यह भी कहा कि झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे इलाज चल रहा है, जिससे आम लोगों में आक्रोश है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से भी इस अस्पताल के लिए आग्रह किया गया था, लेकिन अस्पताल भवन आज भी अधूरा है और स्वास्थ्य सुविधाएं नगण्य हैं।

कराईकेला जैसे दूरस्थ क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की यह स्थिति ग्रामीणों के साथ अन्याय है, जिसे जल्द दुरुस्त करने की आवश्यकता है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और स्वास्थ्य अधिकारियों से जल्द समाधान की मांग की गई है।

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