


जनजातीय समुदायों में छिपा है अपार पारंपरिक ज्ञान, मुख्यधारा से जोड़ने की है आवश्यकता: प्रो. सुकुमार मिश्रा
डीजे न्यूज, धनबाद: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ), धनबाद में शुक्रवार को झारखंड के आदिवासी युवाओं के लिए “बेसिक और एडवांस्ड लेवल सूचना प्रौद्योगिकी एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम” के अंतर्गत एक हितधारक बैठक एवं विचार-विमर्श सत्र का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद में स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य झारखंड के आदिवासी युवाओं को डिजिटल साक्षरता, कौशल विकास और तकनीक आधारित रोजगार से सशक्त बनाना है।
बैठक का आयोजन प्रबंधन अध्ययन एवं औद्योगिक अभियांत्रिकी विभाग के सभागार में हुआ, जहाँ विभिन्न संस्थानों, सरकारी विभागों, उद्योग जगत और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन और भविष्य की रूपरेखा पर अपने सुझाव दिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसका नेतृत्व आईआईटी (आईएसएम) के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने किया। इस अवसर पर प्रो. धीरज कुमार (उप-निदेशक), प्रो. संदीप मोंडाल (विभागाध्यक्ष, प्रबंधन अध्ययन एवं औद्योगिक अभियांत्रिकी) सहित जनजातीय कार्य मंत्रालय, झारखंड सरकार के कल्याण विभाग, ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट और ट्राइबल वेलफेयर कमिश्नर कार्यालय के प्रतिनिधि मौजूद थे।
इसके अलावा सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड, रांची यूनिवर्सिटी, एस. पी. कॉलेज (दुमका), झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS), एनजीओ, ईएमआरएस स्कूलों, स्थानीय उद्यमियों और उद्योग विशेषज्ञों ने भी अपने विचार साझा किए।
यह कार्यक्रम प्रो. रश्मि सिंह (सहायक प्राध्यापक) और प्रो. नीलाद्रि दास (प्रोफेसर) के नेतृत्व में प्रो. संदीप मोंडाल और प्रो. जे. के. पटनायक के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। परियोजना टीम में निलेश कुमार, सनी कुमार, सोमना बनर्जी और फिरदौस अंसारी शामिल हैं।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. सुकुमार मिश्रा ने कहा कि वास्तविक प्रगति की शुरुआत स्थानीय स्तर से होती है और वही आगे चलकर वैश्विक रूप लेती है। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनजातीय समुदायों में अपार पारंपरिक ज्ञान छिपा है, जिसे मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता है। प्रो. मिश्रा ने बताया कि तकनीक को मानविकी और प्रबंधन के साथ जोड़कर ही समाज के विकास में सार्थक योगदान दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि “सहानुभूति और विज्ञान का संगम ही सतत एवं समावेशी विकास की कुंजी है।”
प्रो. धीरज कुमार ने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य हितधारकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और प्रभावी बनाना है।
अपने स्वागत संबोधन में प्रो. रश्मि सिंह ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ट्राइबल डेवलपमेंट की स्थापना (साल 2023) और अब तक संचालित आईटी एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये प्रशिक्षण कार्यक्रम आदिवासी युवाओं को रोजगार उन्मुख डिजिटल कौशल सिखाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे हैं, जिनमें हाल ही में ईएमआरएस छात्रों के लिए तीन दिवसीय बूट कैंप भी शामिल था।
प्रो. संदीप मोंडाल ने विभाग की गतिविधियों और इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आईआईटी (आईएसएम) हमेशा से समावेशी और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है।
इस विचार-विमर्श सत्र का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों, सरकार और उद्योग जगत के बीच सहयोग का सेतु बनाना है ताकि झारखंड के आदिवासी समुदायों में डिजिटल सशक्तिकरण और सतत आजीविका के अवसर बढ़ाए जा सकें।
