झारखंड में यदुवंशी कार्ड खेलने के मूड में दिख रही भाजपा 

Advertisements

झारखंड में यदुवंशी कार्ड खेलने के मूड में दिख रही भाजपा 

बिहार में वैश्य समाज से प्रदेश अध्यक्ष देने के बाद झारखंड में बदल सकती रणनीति 

वोटिंग से नहीं अब होगा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का मनोनयन 

दिलीप सिन्हा, देवभूमि झारखंड न्यूज धनबाद : अब तक यह तय माना जा रहा है कि झारखंड का अगला भाजपा अध्यक्ष ओबीसी से और उसमें से भी वैश्य समाज से होगा। वैश्य समाज से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, धनबाद के सांसद ढुलू महतो एवं हजारीबाग के सांसद मनीष जायसवाल का नाम आगे चल रहा है। इस बीच भाजपा झारखंड में यदुवंशी कार्ड खेलने के मूड में दिख रही है। यदुवंशी समाज के किसी बड़े नेता को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की रणनीति पर भी मंथन चल रहा है। यदुवंशी समाज से भारत सरकार की केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, कोडरमा की विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. नीरा यादव, बरही के विधायक मनोज यादव एवं बरकट्टा के विधायक अमित यादव दावेदार हो सकते हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि झारखंड में यादव वोटों की संख्या और पड़ोसी राज्य बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा किसी यदुवंशी नेता पर दांव लगा सकती है। अब यह तय हो गया है कि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव वोटिंग से नहीं होगा बल्कि केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष का मनोनयन करेगा। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल इसके लिए रांची आकर झारखंड के वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी भी कर चुके हैं। संभावना है कि मंडल अध्यक्षों और जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद प्रदेश अध्यक्ष की भी घोषणा कर दी जाएगी।

जहां तक वैश्य समाज की बात है तो अभी तक सबसे ज्यादा जोर इसी समाज से प्रदेश अध्यक्ष देने का है। लेकिन, बिहार में वैश्य समाज के दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद झारखंड में वैश्य समाज से प्रदेश अध्यक्ष देने की संभावना थोड़ी कमजोर पड़ गई है। वैसे भी वैश्य समाज से देखें तो इस समाज के नेताओं का संसद एवं विधानसभा में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व है। झारखंड से भाजपा के तीन लोकसभा सदस्य वैश्य समाज से हैं। इनमें धनबाद से ढुलू महतो, हजारीबाग से मनीष जायसवाल एवं रांची से संजय सेठ हैं। वहीं राज्यसभा की बात करें तो झारखंड से भाजपा के दो राज्यसभा सदस्य वैश्य समाज से हैं। इनमें प्रदीप वर्मा एवं आदित्य साहू शामिल हैं।

वहीं यादव समाज की बात करें तो झारखंड में भी यादव समाज राजद समर्थक माना जाता था। भाजपा ने राजद की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी को पार्टी में शामिल कर यादव वोटरों में मजबूत सेंधमारी कर ली है। कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से रिकार्ड वोटों से अन्नपूर्णा देवी दूसरी बार जीतीं और साथ ही वहां भाकपा माले के यादव वोट बैंक को पूरी तरह से ध्वस्त भी कर दिया। अन्नपूर्णा देवी को मोदी कैबिनेट में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। इस विधानसभा चुनाव में भी यादव वोटरों काे साधने में भाजपा काफी हद तक सफल रही थी। यादव समाज से प्रदेश अध्यक्ष देकर भाजपा झारखंड के साथ-साथ बिहार के यादवों को भी रिझाने की कोशिश कर सकती है। बिहार में विधानसभा का चुनाव इसी साल होने वाला है। भाजपा यादवों को पूरी तरह से अपने पाले में करने के लिए मंथन कर रही है। झारखंड में ओबीसी में वैश्य समाज के बाद यादव और कुर्मी वोटरों की संख्या अधिक है। इस चुनाव में कुर्मी वोटर न तो भाजपा के साथ रहे और न ही उसकी सहयोगी आजसू के साथ। झारखंड के कुर्मी वोटर टाइगर जयराम महतो के समर्थन में एकजुट रहे। इस कारण जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो की दावेदारी कमजोर पड़ रही है।

दलित समाज से चंदनकियारी के पूर्व विधायक व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी भी दावेदारी कर रहे हैं। सवर्ण समाज से मौजूदा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रविंद्र कुमार राय, पूर्व विधायक द्वय अनंत ओझा एवं भानू प्रताप शाही का भी नाम सामने आ रहा है। इसके बावजूद भाजपा नेतृत्व कब किसे किस पद पर बैठा दे, यह समझना मुश्किल है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री चयन में हम यह देख चुके हैं।

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
Scroll to Top