झारखंड में पलायन सबसे बड़ी समस्या, बिरनी के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने दिए समाधान के सुझाव

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झारखंड में पलायन सबसे बड़ी समस्या, बिरनी के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने दिए समाधान के सुझाव
स्थानीय रोजगार, छोटे-बड़े उद्योग और वाणिज्यिक कृषि को बताया समाधान का रास्ता
डीजे न्यूज, गिरिडीह : झारखंड में लंबे समय से पलायन एक गंभीर समस्या बना हुआ है। राज्य के कई जिलों, विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग आजीविका की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। इस मुद्दे को लेकर गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड निवासी युवा सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने चिंता जताई है और इसके समाधान के लिए राज्य सरकार को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
राजेश कुमार ने कहा कि झारखंड में पलायन केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक संकट का रूप ले चुका है। इसे रोकने के लिए सरकार को योजनाबद्ध और गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने सरकार के सामने निम्नलिखित सुझाव रखे:
✅ छोटे उद्योगों की स्थापना
राजेश कुमार ने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 2000 छोटे उद्योग लगाए जाने चाहिए, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ सकें और युवाओं को अपने गांव-घर में ही काम मिल सके।
✅ विधायकों को दें लक्ष्य
उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक विधायक को अपने क्षेत्र में 15 से 20 हजार लोगों को पलायन से रोकने का स्पष्ट लक्ष्य दिया जाना चाहिए और उसके लिए आवश्यक संसाधन भी प्रदान किए जाएं।
✅ बड़े उद्योगों की स्थापना
राज्य के कम-से-कम 10 जिलों में बड़े उद्योगों की स्थापना का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि इससे ना सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि क्षेत्र का आर्थिक विकास भी होगा।
✅ वाणिज्यिक कृषि के लिए भूमि
ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को तीन कट्ठा जमीन वाणिज्यिक कृषि के लिए देने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि इससे लोग आत्मनिर्भर बन सकेंगे और खेती को आय का मजबूत स्रोत बना सकेंगे।
पलायन रोकने के अन्य उपाय
राजेश कुमार ने राज्य सरकार से मांग की कि पलायन को रोकने के लिए निम्न कदमों को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए:
स्थानीय रोजगार के अवसर विकसित किए जाएं।
विस्थापन के कारणों का समाधान कर पुनर्वास और मुआवजे की उचित व्यवस्था की जाए।
कौशल विकास कार्यक्रम को व्यापक रूप से लागू किया जाए ताकि युवा उद्योगों और अन्य क्षेत्रों में काम करने लायक बन सकें।
सरकार के प्रयास
गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने भी हाल के वर्षों में पलायन रोकने की दिशा में कुछ कदम उठाए हैं। इनमें विस्थापन आयोग का गठन भी शामिल है, जो राज्य में विस्थापित लोगों के लिए डेटा एकत्र कर सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करेगा और उनके पुनर्वास की व्यवस्था करेगा।
समस्या की जड़
राज्य के कई हिस्सों में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं हैं। खनन और अन्य परियोजनाओं के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है, जिससे लोग रोज़गार की तलाश में बाहर जाने को मजबूर हैं।
राजेश कुमार ने अंत में कहा कि यदि सरकार पलायन को रोकना चाहती है तो उसे इन सुझावों पर गंभीरता से विचार कर धरातल पर उतारना होगा, वरना राज्य से युवाओं का पलायन रुक पाना मुश्किल होगा।

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