
जामताड़ा में सरना धर्म कोड की मांग को लेकर निकली न्याय यात्रा
अबकी जनगणना-दो करोड़ सरना का बुलंद नारा
डीजे न्यूज, जामताड़ा : आदिवासी समुदाय की धार्मिक पहचान और संवैधानिक अधिकारों की मांग को लेकर सरना धर्म कोड के समर्थन में रविवार को जामताड़ा में भव्य न्याय यात्रा निकाली गई। इस जनआंदोलन में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग, पंचायत प्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में आगामी जनगणना में सरना धर्म को अलग पहचान देने की मांग उठाई।
सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर कोर्ट रोड स्थित रानीगंज मोड़ से न्याय यात्रा की शुरुआत हुई, जो जामताड़ा शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए वीर सिद्धो-कान्हू और भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करते हुए दुलाडीह स्थित नगर भवन पहुंची। वहां यह यात्रा जनसभा में तब्दील हो गई।
यात्रा में शामिल लोगों ने “अबकी जनगणना—2 करोड़ सरना” का नारा लगाते हुए केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड को 2026 की जनगणना में शामिल करने की मांग की। इस अभियान के तहत “चलो गांव की ओर” का आह्वान किया गया है, जिसके तहत देशभर में आदिवासी समाज को जागरूक कर इस अभियान से जोड़ा जाएगा।
विश्व धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “सरना धर्म हमारी आस्था, परंपरा और जीवनशैली का प्रतीक है। सरकार बार-बार इस पहचान को नज़रअंदाज कर रही है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारी मांग है कि सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल किया जाए।”
सभा में संजय पाहन, प्रो. सुनील कुमार हांसदा, निर्मल सोरेन, लखींद्र मुर्मू, सरोज हेम्ब्रम, मंतोष कुमार महतो, बापी दत्त सहित कई प्रमुख वक्ताओं ने भी सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग को दोहराया।
आंदोलनकारियों ने यह संकल्प लिया कि जब तक केंद्र सरकार सरना धर्म कोड को लागू नहीं करती, तब तक गांव-गांव जाकर इस मुद्दे पर जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आदिवासी अस्मिता की अनदेखी जारी रही, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।