

हिन्दी टिप्पणी प्रारूपण परीक्षा को लेकर शिक्षकों में असमंजस, वेतन वृद्धि और पेंशन लाभ पर बनी संशय की स्थिति
डीजे न्यूज, राँची :
राज्य के प्राथमिक, मध्य एवं माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की वार्षिक वेतन वृद्धि एवं पेंशन लाभ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वित्त विभाग, झारखण्ड सरकार द्वारा निर्गत पत्रांक 03/वि० पें० (दिनांक 27.01.2025) एवं पत्रांक 19/वि० पें० (दिनांक 29.05.2025) के आलोक में यह निर्देश दिया गया है कि हिन्दी टिप्पणी प्रारूपण परीक्षा में उत्तीर्ण हुए बिना किसी भी कर्मी को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जाएगा।
इस निर्णय से शिक्षक वर्ग, विशेषकर हाल ही में प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नत हुए शिक्षकों में व्यापक चिंता देखी जा रही है। शिक्षकों का कहना है कि हिन्दी टिप्पणी परीक्षा संबंधी 1968 की नियमावली उन्हीं कर्मियों पर लागू होती है, जिन्हें अपने कार्य के दौरान टिप्पणी या प्रारूप तैयार करना होता है।
राजभाषा विभाग, बिहार सरकार का पुराना आदेश बना आधार
राजभाषा विभाग, बिहार सरकार का पत्रांक 1834/रा०, दिनांक 13.11.1987 में स्पष्ट किया गया था कि शिक्षकगण, जो शैक्षणिक गतिविधियों तक सीमित रहते हैं, उन्हें हिन्दी टिप्पणी प्रारूपण परीक्षा से मुक्त रखा गया है। केवल प्रधानाध्यापक बनने की स्थिति में यदि आवश्यकता पड़े तभी यह अनिवार्यता लागू होगी।
हालांकि हाल में जारी निर्देशों में इस पुरानी व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं है, जिससे जिलों में शिक्षकों के विरुद्ध प्रतिकूल निर्णय की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। राँची जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा जारी पत्रांक 1979 दिनांक 11.07.2025 में ऐसे शिक्षकों की जुलाई 2025 की वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगाने का संकेत दिया गया है।
शिक्षकों की माँग — तत्काल स्पष्ट आदेश जारी हो
शिक्षकों ने वित्त विभाग से निम्नलिखित माँग की है —
1. राजभाषा विभाग के 1987 के आदेश को वित्त विभाग के नवीन पत्रों के साथ पुनः संलग्न कर स्पष्ट किया जाए कि हिन्दी टिप्पणी परीक्षा की अनिवार्यता शिक्षकों पर लागू नहीं होती।
2. प्रधानाध्यापकों के मामले में कार्य की प्रकृति के अनुसार व्याख्या कर यह तय किया जाए कि किन पर यह अनिवार्यता प्रभावी होगी।
3. जब तक उक्त स्पष्टता नहीं आती, राँची डीईओ के आदेश का प्रभाव स्थगित किया जाए, जिससे जुलाई 2025 की वेतन वृद्धि बाधित न हो।
शिक्षकों ने यह भी तर्क दिया है कि —
उन्हें पूर्व में हिन्दी टिप्पणी परीक्षा से मुक्त माना जाता रहा है।
न तो किसी प्रकार का प्रशिक्षण आयोजित किया गया और न ही प्रोन्नति आदेश में इसकी पूर्व सूचना दी गई।
निष्कर्षतः, शिक्षकों ने प्रधान सचिव, वित्त विभाग, झारखण्ड सरकार से आग्रह किया है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए अत्यावश्यक रूप से स्पष्ट आदेश जारी करें, जिससे वेतन वृद्धि व पेंशन लाभ में अवांछित अवरोध उत्पन्न न हो।
