
गुरुजी के निधन की सूचना से सुपायडीह समेत पूरे जामताड़ा में सन्नाटा, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
डीजे न्यूज, जामताड़ा : झारखंड की राजनीति के पुरोधा, आदिवासी समाज के मसीहा और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के निधन की खबर जैसे ही सामने आई, पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। उनके जाने से न केवल झारखंड की राजनीति बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा में भी एक अपूरणीय रिक्तता उत्पन्न हो गई है। सुपायडीह पंचायत में भी यह खबर अत्यंत दुखद और भावुक क्षण बनकर आई। पंचायत की मुखिया स्टेनशीला हेंब्रम सहित क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों के प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं एवं आम नागरिकों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए शिबू सोरेन को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। गांव की गलियों से लेकर पंचायत भवन तक एक सन्नाटा पसरा रहा। लोग एक-दूसरे से बस यही कहते नजर आए – “हमारा दिशोम गुरु अब नहीं रहा।” उनके प्रति लोगों की भावनाएं सिर्फ एक राजनेता के तौर पर नहीं, बल्कि एक संरक्षक, एक मार्गदर्शक और एक जननायक के रूप में थीं। मुखिया स्टेनशीला हेंब्रम ने अपनी आंखों में आंसू भरकर कहा, “शिबू सोरेन केवल एक नाम नहीं, बल्कि हमारे संघर्षों की प्रेरणा थे। उन्होंने आदिवासी समाज की आवाज़ को संसद तक पहुंचाया और उनके अधिकारों की लड़ाई को जीवन भर लड़ा। श्रद्धांजलि सभा में लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर, पुष्प अर्पित कर और दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस मौके पर कई स्थानीय युवाओं ने कहा कि वे शिबू सोरेन की विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर समाज की सेवा करेंगे। उनकी जीवन यात्रा एक मिसाल रही है – जंगलों और पहाड़ियों से निकलकर संसद तक का सफर उन्होंने संघर्षों की आग से तपकर तय किया था। आज जब झारखंड उन्हें अंतिम विदाई दे रहा है, तो हर आंख नम है, हर दिल भारी है। लेकिन उनकी यादें, उनके विचार और उनका संघर्ष हमेशा जीवित रहेंगे। दिशोम गुरु को झारखंड की पवित्र माटी की ओर से कोटि-कोटि नमन।