
ग्राम प्रधान या मांझी-हड़ाम की अनुमति के बिना जैन समाज या सरकारी कर्मियों का प्रवेश वर्जित रहेगा
पारसनाथ में आदिवासियों का उग्र विरोध, सर्वेक्षण और दखलअंदाजी के खिलाफ डहिया गांव में बैठक
डीजे न्यूज, पीरटांड़ (गिरिडीह) : पारसनाथ मौजा में चल रहे सर्वेक्षण और आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत में दखलअंदाजी के खिलाफ आदिवासियों का गुस्सा अब खुलकर सामने आने लगा है। बुधवार को झमाझम बारिश के बीच दर्जनों गांव के आदिवासियों ने डहिया गांव में बैठक कर आगे की रणनीति तय की।
आदिवासियों ने किया सर्वेक्षण का विरोध
बैठक में आदिवासियों ने साफ किया कि पारसनाथ राजस्व मौजा है, जिसमें दर्जनों टोले आदिवासियों के निवास और खेतीबारी से जुड़े हुए हैं। ऐसे में पूरे पारसनाथ मौजा को लक्षित कर फैसला लेना आदिवासियों के अस्तित्व और संस्कृति में सीधा हस्तक्षेप है, जो कतई स्वीकार्य नहीं है।
जैन समाज और बाहरी हस्तक्षेप से नाराज आदिवासी
बैठक में आदिवासियों ने यह फैसला किया कि गांव में ग्राम प्रधान या मांझी-हड़ाम की अनुमति के बिना जैन समाज या सरकारी कर्मियों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहेगा। आदिवासियों का आरोप है कि जैन समाज के लोग रोटी, बिस्कुट और कपड़ा बांटने के बहाने आदिवासियों को भ्रमित कर रहे हैं और उनकी पारम्परिक पूजन विधि एवं बलिप्रथा को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
आदिवासियों का कड़ा रुख
आदिवासियों ने बैठक में यह निर्णय लिया कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत, पारम्परिक पूजा एवं बलिप्रथा का पूरी श्रद्धा से पालन करेंगे। साथ ही यह भी तय किया गया कि ग्राम प्रधान या मांझी-हड़ाम की अनुमति के बिना गांव में प्रवेश करने वालों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
आदिवासियों में गहराता असंतोष
सर्वेक्षण के नाम आधार और खतियान मांगने से आदिवासियों में गहरा असंतोष है। आदिवासियों का कहना है कि यह उनकी सांस्कृतिक विरासत और मूलभूत अधिकारों में सीधी दखलअंदाजी है, जो कतई सहनीय नहीं है। आदिवासियों का यह विरोध आगे और उग्र होने की संभावना है।