
गलत तरीके से गिरफ्तारी पर न्यायालय ने अनुसंधानकर्ता को किया शोकॉज
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर अनुसंधानकर्ता ने किया गिरफ्तारी
आरोपित को बिना पर्याप्त नोटिस दिए न्यायालय में किया गया प्रस्तुत
डीजे न्यूज, गिरिडीह : सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद गिरिडीह नगर थाना पुलिस द्वारा एक छोटे अपराध में आरोपित की गिरफ्तारी किए जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में न्यायालय ने गंभीर रुख अपनाते हुए अनुसंधानकर्ता को शोकॉज नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नगर थाना क्षेत्र के बरमसिया में हुई मारपीट की एक घटना के आरोप में पुलिस ने अभिषेक कुमार नामक युवक को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया। आरोपित अभिषेक और उसके अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि उसे पुलिस द्वारा एक बार नोटिस भेजा गया था, जिसका जवाब उसने पोस्ट और ईमेल दोनों माध्यमों से दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सात वर्ष से कम सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी से पूर्व आरोपित को तीन बार अलग-अलग तिथियों में नोटिस देना अनिवार्य है, जिससे उसे अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिल सके। लेकिन पुलिस ने इस प्रक्रिया का पालन किए बिना ही सीधे गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। न्यायालय ने इसे सुप्रीम कोर्ट के सत्येंद्र कुमार अंटिल बनाम सीबीआई मामले में दिए गए निर्णय का उल्लंघन माना और अनुसंधानकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
परिजनों ने लगाया पुलिस पर पक्षपात का आरोप
इधर, आरोपित अभिषेक कुमार के परिजनों का कहना है कि घटना के पीछे एकतरफा पुलिस कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि उनके घर की एक महिला के साथ हुई अश्लील हरकत व छेड़छाड़ को लेकर उन्होंने मामला दर्ज कराया था, लेकिन इसके बाद पुलिस ने उल्टा अभिषेक को ही झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
परिजनों ने यह भी कहा कि इस मामले को लेकर वे उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करेंगे।
न्यायालय का रुख साफ, कानून से ऊपर नहीं कोई
न्यायालय द्वारा अनुसंधानकर्ता को शोकॉज जारी किया जाना यह स्पष्ट करता है कि गिरफ्तारी जैसे गंभीर कदम उठाते समय पुलिस को कानून और उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करना अनिवार्य है। इस मामले ने एक बार फिर जांच-पड़ताल की प्रक्रिया में पारदर्शिता और संवैधानिक मर्यादाओं के पालन की आवश्यकता को रेखांकित किया है।