
गृह पर्चाधारी का अंचल कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना शुरू
अतिक्रमण से जमीन मुक्त कराने की मांग, कार्रवाई न होने पर नाराजगी
डीजे न्यूज, बिरनी(गिरिडीह) :सिमराढाब के गृह पर्चाधारी वार्ड सदस्य सीताराम तुरी ने अपनी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने की मांग को लेकर मंगलवार से अंचल कार्यालय के समक्ष पूरे परिवार के साथ अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। धरना स्थल पर परिवार के साथ बैठकर उन्होंने प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई।
सीताराम तुरी ने बताया कि उन्हें 1987-88 में सरकार और अंचल कार्यालय से तीन डिसमिल का गृह पर्चा मिला था, जो उनके बड़े भाई कार्तिक तुरी (जिन्हें 40 डिसमिल जमीन का पर्चा मिला है) के प्लॉट के बगल में है। आरोप है कि बड़े भाई ने उनकी तीन डिसमिल जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। इस संबंध में अंचल कार्यालय में आवेदन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि गत 14 जुलाई को इसी मांग को लेकर वे पूरे परिवार के साथ धरने पर बैठे थे, तब राजस्व कर्मचारियों ने जांच कर अतिक्रमण मुक्त कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया। यही कारण है कि अब वे पुनः अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने को मजबूर हुए हैं।
बरसात के कारण मापी अटकी, दोनों पक्ष को नोटिस जारी
धरना की सूचना मिलते ही हल्का कर्मचारी पंचानन्द राय ने मौके पर पहुंचकर पर्चाधारी को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि बरसात के कारण भूमि मापी का कार्य संभव नहीं हो सका है। बरसात समाप्त होते ही मापी कर जांच रिपोर्ट अंचलाधिकारी को सौंपी जाएगी। दोनों पक्ष सीताराम तुरी और कार्तिक तुरी को नोटिस जारी कर अपने-अपने कागजात जमा करने को कहा गया है। इधर कार्तिक तुरी ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उन्होंने किसी की जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया है। उन्हें जो 40 डिसमिल जमीन पर्चा में मिली है, उसी पर कब्जा है। जांच से सच्चाई स्पष्ट हो जाएगी।
धरना स्थल पर जनप्रतिनिधि व संगठन प्रतिनिधियों की मौजूदगी
धरना में पूर्व वार्ड सदस्य वीणा देवी, प्रमोद तुरी, रंजू तुरी, पिंकी देवी, खुशबू देवी, ममता देवी, विनय तुरी, बेबी देवी, काजल देवी, रेणु देवी, रंजन तुरी समेत कई ग्रामीण उपस्थित रहे। वहीं, धरना समाप्त कराने के प्रयास में हल्का कर्मचारी, प्रखंड प्रमुख रामु बैठा, उपप्रमुख शेखर शरण दास, माले नेता सीताराम पासवान और राजेश विश्वकर्मा सक्रिय रहे।
समाचार लिखे जाने तक धरना जारी था।