एनडीए में शामिल हो जाएं जयराम तो बदल जाएगा सत्ता समीकरण 

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एनडीए में शामिल हो जाएं जयराम तो बदल जाएगा सत्ता समीकरण 

झारखंड की 14 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा सीधा असर, आइएनडीआइए और एनडीए में बराबरी की लड़ाई संभव

विधानसभा चुनाव में करारी हार से मुरझाए भाजपा को मिल सकती संजीवनी 

दिलीप सिन्हा, धनबाद : विधानसभा चुनाव में भाजपा

के सारे चक्रव्यूह को ध्वस्त कर भारी बहुमत के साथ हेमंत सोरेन सरकार में वापस आ चुके हैं। हेमंत ने अपनी पार्टी झामुमो के साथ-साथ अपने सहयोगी दलों को भी रिकार्ड जीत दिलाई है। इस बंपर जीत से जहां झामुमो गदगद है वहीं भाजपा सदमे में है। नतीजा है कि राज्य में भाजपा का सदस्यता अभियान गति नहीं पकड़ सका। भाजपा नेतृत्व अभी से ही मंथन कर रहा है कि कैसे हेमंत सोरेन का तिलिस्म तोड़कर अगले चुनाव में फिर से राज्य में वापसी कर सके। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना कि इस विधानसभा चुनाव में नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभरे डुमरी के विधायक व जेएलकेएम प्रमुख जयराम महतो भाजपा के लिए ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। भाजपा यदि जयराम की पार्टी जेएलकेएम को एनडीए में शामिल कर लें तो अगले विधानसभा चुनाव की लड़ाई दिलचस्प हो जाएगी। इस नए राजनीतिक रिश्ते का सीधा असर झारखंड की कम से कम 15 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा। जयराम और भाजपा दोनों की ताकत बढ़ेगी। इससे राज्य में सत्ता का समीकरण बदल सकता है। झारखंड में अगला चुनाव एनडीए और आइएनडीआइए के बीच बराबरी का हो सकता है।

अकेले लड़कर अपनी पार्टी का वोट प्रतिशत तो जयराम जरूर बढ़ा लेंगे लेकिन सीट निकालना मुश्किल होगा। जैसा कि इस चुनाव में हुआ है। दोनों गठबंधनों की भी बात करें तो जयराम के लिए भाजपा से हाथ मिलाना मजबूरी हो सकता है। कारण, जिन-जिन सीटों पर जयराम समेत उनके प्रत्याशियों ने लड़ाई को त्रिकोणीय बनाया है, वहां झामुमो या उसका गठबंधन जीता है। ऐसे में तालमेल के तहत जयराम के लिए सीट छोड़ने की स्थिति में भाजपा ही होगी। झामुमो अपनी सीटिंग सीटों को तो उनके लिए छोड़ेगा नहीं। ऐसी स्थिति में आजसू किनारे लग सकती है। वैसे भी भाजपा के लिए अब आजसू से समझौता फायदेमंद नहीं है। कारण, आजसू का कुर्मी वोट बैंक पूरी तरह से जयराम के साथ शिफ्ट कर गया है।

लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव, जयराम यह दिखा चुके हैं कि कुर्मी वोटरों को वह मोड़ सकते हैं।

आइए, एक बार इन 14 विधानसभा सीटों की वास्तविक स्थिति से आपको रूबरू कराते हैं : 

सिल्ली विधानसभा सीट : 

भाजपा की सहयोगी आजसू के प्रमुख सुदेश महतो को यहां 23 हजार 867 वोटों से हराकर झामुमो के अमित महतो ने सिल्ली विधानसभा सीट पर कब्जा किया है। अमित महतो को 73,169 एवं सुदेश महतो को 49, 302 वोट मिले हैं। वहीं तीसरे नंबर पर रहे जयराम की पार्टी जेएलकेएम के देवेंद्र नाथ महतो को 41,725 वोट मिले हैं। यदि जयराम-भाजपा गठबंधन हो गया तो निश्चित रूप से अगले चुनाव में यहां का भी समीकरण बदल सकता है।

ईचागढ़ विधानसभा सीट : 

झामुमो की सबिता महतो भाजपा समर्थित आजसू के हरे लाल महतो को 26 हजार 523 वोटों से हराकर अपनी सीट बचाने में सफल रहीं। सबिता महतो केा 77,552 एवं हरे लाल को 51,029 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर रहे जयराम के प्रत्याशी तरूण महतो को 41,138 वोट मिले। जाहिर है नया गठबंधन हुआ तो इस सीट की भी तस्वीर बदल सकती है।

रामगढ़ विधानसभा सीट : 

कांग्रेस की ममता देवी यहां गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी व विधायक सुनीता चौधरी को छह हजार 790 वोटों से हराने में सफल रहीं। ममता को 89,818 एवं सुनीता को 83028 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहे जयराम के प्रत्याशी पनेश्वर कुमार ने 70, 979 वोट लाकर चौंका दिया। आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि नया गठबंधन हुआ तो इस सीट की तस्वीर क्या होगी।

गोमिया विधानसभा सीट : 

गोमिया से आजसू के लंबोदर महतो विधायक थे। भाजपा समर्थित आजसू प्रत्याशी के रूप में वह फिर से मैदान में उतरे थे। इस लड़ाई में वह तीसरे नंबर पर रहे। झामुमो के योगेंद्र प्रसाद ने जयराम की प्रत्याशी पूजा महतो को 36 हजार 93 वोटों के अंतर से हरा दिया। योगेंद्र को 95,170 एवं पूजा को 59077 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहे लंबोदर महतो को 54, 508 वोट मिले। यदि गठबंधन बना तो झामुमो की यहां मुश्किलें बढ़ जाएगी।

 चंदनकियारी विधानसभा सीट : 

नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी की यह विधानसभा सीट थी। बाउरी यहां फिर से मैदान में थे। जयराम के प्रत्याशी अर्जुन रजवार ने यहां ऐसा खेल बिगाड़ा कि बाउरी न सिर्फ हारे बल्कि तीसरे नंबर पर चले गए। झामुमो के उमाकांत रजक यहां अर्जुन रजवार को 33, 733 वोटों से हराने में सफल रहे। उमाकांत को 90, 027, अर्जुन रजवार को 56, 294 एवं अमर बाउरी को 56,091 वोट मिले। नए रिश्ते बने तो क्या हो सकता है, यह बताने की जरूरत नहीं है।

मांडू विधानसभा सीट : 

मांडू से झामुमो समर्थित कांग्रेस के जेपी पटेल प्रत्याशी थे। वहीं भाजपा समर्थित आजसू से निर्मल उर्फ तिवारी महतो प्रत्याशी थे। जयराम ने यहां बिहारी कुमार को उतारा था। कांटे की लड़ाई में यहां आजसू के तिवारी महतो कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पटेल से 231 वाेटों से जीतने में सफल रहे। इस चुनाव में आजसू से जीतने वाले वह एकलौते प्रत्याशी बने। यहां निर्मल महतो को 90871और जेपी पटेल को 90640 वोट मिले। जेएलकेएम के बिहारी को यहां 71 हजार 276 वोट मिले। जाहिर है, आजसू यदि गठबंधन से बाहर भी हो जाए तो जयराम-भाजपा गठबंधन यहां मजबूत स्थिति में रहेगी।

सिंदरी विधानसभा सीट : 

सिंदरी विधानसभा सीट से इस बार झामुमो समर्थित भाकपा माले प्रत्याशी इंद्रदेव उर्फ बबलू महतो मैदान में थे। इनका सामना भाजपा की तारा देवी से था। जेएलकेएम ने यहां उषा देवी को मैदान में उतारा था। कांटे की लड़ाई में बबलू महतो यहां तारा देवी को 3448 वोटों से हराने में सफल रहे। बबलू को 1,05136 एवं तारा को 1, 01688 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहीं उषा को 42,664 वोट मिले। नया गठबंधन हुआ तो हेमंत के गठबंधन की मुश्किलें बढ़ जाएगी।

टुंडी विधानसभा सीट : 

टुंडी विधानसभा सीट झामुमो का गढ़ है। विधायक व झामुमो प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो चौका मारने उतरे थे। भाजपा के विकास महतो को 25, 603 वोटों से हराकर मथुरा चौथी बार विधानसभा पहुंच गए। मथुरा को 95, 527 एवं विकास को 69924 वोट मिले। तीसरे नंबर पर रहे जेएलकेएम के मोतीलाल महतो को 44, 464 वोट मिले। जाहिर है नया गठबंधन झामुमो के समक्ष मजबूत चुनौती पेश कर सकता है।

निरसा विधानसभा सीट :

भाकपा माले के अरूप चटर्जी ने भाजपा की विधायक अपर्णा सेनगुप्ता को कांटे की लड़ाई में 1808 वोटों से हराया। अरुप को 1,04855 एवं अपर्णा को 1,03047 वोट मिले। वहीं जेएलकेएम के अशोक मंडल को 16,316 वोट मिले। जाहिर है नए समीकरण में अरूप के लिए वापसी बड़ी चुनौती होगी।

बेरमो विधानसभा सीट : 

भाजपा के पूर्व सांसद रविंद्र कुमार पांडेय भाजपा प्रत्याशी के रूप में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह एवं टाइगर जयराम महतो से था। पांडेय यहां तीसरे नंबर पर चले गए। अनूप सिंह ने जयराम को 29 हजार 375 वोटों से हराकर अपनी विधायकी बचा ली। अनूप को 90,246 एवं जयराम को 60,871 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी रविंद्र पांडेय को 58,352 वोट मिले। जयराम डुमरी के साथ-साथ बेरमो सीट से भी लड़ रहे थे। डुमरी में उन्होंने आसानी से मंत्री बेबी देवी को हरा दिया। नया समीकरण बेरमो में अनूप सिंह का खेल बिगाड़ सकता है।

गिरिडीह विधानसभा सीट : 

विधायक व झामुमो प्रत्याशी सुदिव्य कुमार सोनू ने यहां कांटे की लड़ाई में भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी को 3838 वोटों से हरा दिया। सोनू को 94,042 एवं शाहाबादी को 90,204 वोट मिले। जयराम के प्रत्याशी नवीन चौरसिया को 10,787 वोट मिले। जयराम और भाजपा में यदि तालमेल हुआ तो यहां भी झामुमो की मुश्किलें बढ़ेगी।

तमाड़ विधानसभा सीट : 

झामुमो प्रत्याशी विकास मुंडा ने यहां भाजपा समर्थित जदयू प्रत्याशी गोपाल कृष्ण पातर को 24 हजार 246 वोटों से हराया है। विकास मुंडा को 65,655 एवं गोपाल कृष्ण को 41,409 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहीं

जयराम की प्रत्याशी दयामंती मुंडा को 26,562 वोट मिले। जयराम-भाजपा गठबंधन यहां भी झामुमो गठबंधन पर भारी पड़ सकता है।

कांके विधानसभा सीट : 

झामुमो समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश बैठा ने भाजपा प्रत्याशी जीतू चरण राम को कांटे की लड़ाई में 968 वोटों से हरा दिया। सुरेश बैठा को 1,33499 एवं जीतू चरण को 1,32531 वोट मिले। तीसरे नंबर पर रहे जयराम के प्रत्याशी फूलेश्वर बैठा को 25,965 वोट मिले। जाहिर है नया गठबंधन समीकरण बिगाड़ सकता है।

खिजरी विधानसभा सीट : 

कांग्रेस के राजेश कच्छप ने भाजपा के रामकुमार पाहन को यहां 29,375 वोटों से हरा दिया। राजेश कच्छप को 1,24,049 एवं रामकुमार को 94,984 वोट मिले वहीं तीसरे स्थान पर रहे जेएलकेएम के समुंदर पाहन को 27,030 वोट मिले। नए समीकरण से यहां लड़ाई कांटे की हो सकती है।

क्या है झारखंड विधानसभा की मौजूदा स्थिति

 

आइएनडीआइए

झामुमो : 34

कांग्रेस : 16

राजद : 4

भाकपा माले : 2

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कुल : 56

एनडीए 

भाजपा : 21

आजसू : 1

जदयू : 1 

लोजपा : 1 

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कुल : 24 

 

जेएलकेएम : 1

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