
फाइल फोटो
ईसीआरकेयू ने 1974 की रेलवे हड़ताल के आंदोलनकारियों को किया नमन
शहीदों और आंदोलनकारियों की बदौलत बोनस मिली: मो ज़ियाऊद्दीन
हड़ताल से कर्मचारियों में आत्मविश्वास और
संघर्ष का जज्बा पैदा हुआ: ओ पी शर्मा
डीजे न्यूज, धनबाद:
बर्ष 1974 की रेल हड़ताल एक जीवित यादगारों की मशाल है जो मजदूर आंदोलनों के संघर्षों की प्रतीक और प्रेरणा के रूप में याद की जाएगी। उक्त बातें ईसीआरकेयू के अपर महामंत्री सह एआईआरएफ वर्किंग कमिटी के सदस्य मो ज़ियाऊद्दीन ने कहीं। रेल हड़ताल के 51 वर्ष पूर्ण होने पर आंदोलनकारी शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि 1974 की रेलवे हड़ताल को आजाद भारत की सबसे बड़ी घटना के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष जार्ज फर्नाडीस के नेतृत्व में देश के अन्य रेल कर्मचारियों के संगठनों को इकट्ठा कर राष्ट्रीय समन्वय समिति का गठन किया गया था। कई माह तक मांग पत्र तैयार करने के बाद हड़ताल को संगठित करने का अभियान चलाया था। इस आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार ने कर्मचारियों और उनके परिजनों पर काफी दमन किया। लाखों को जेल में बंद कर दिया गया, हजारों को नौकरी से निकाल दिया गया, लेकिन मजदूरों का जोश कम नहीं हुआ। 1977 में इंदिरा गाँधी सत्ता से बेदखल हुईं और जनता पार्टी की सरकार बनी जिसने सभी रेलकर्मियों को जेल से मुक्त कर दिया और नौकरी से निकाले गए कर्मियों को नौकरी में वापस ले लिया। इस हड़ताल के प्रमुख मुद्दों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा था रेल कर्मचारियों को न्यूनतम बोनस। 1979 में स्व चरण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने रेल मजदूरों के बोनस के सिद्धांत को स्वीकार किया और न्यूनतम बोनस देना आरंभ किया जो अभी भी जारी है।
एआईआरएफ के जोनल सेक्रेटरी ओ पी शर्मा ने कहा कि हड़ताल में फेडरेशन के नेतृत्व में 8 लाख रेल मजदूर शामिल हुए थे जो न केवल देश की बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी हड़ताल थी। जिसने देश के सत्ता के खम्भों को हिला दिया था। इस हड़ताल से देश में लोकतंत्र बनाम तानाशाही की बहस आरंभ हुई और देश की राजनीति को नई दशा और दिशा मिली। इस हड़ताल ने समूचे देश के मजदूरों और कर्मचारियों में एक नया आत्मविश्वास और संघर्ष का जज्बा पैदा किया। आज पुनः रेलवे कर्मचारियों को संगठित होकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर ईसीआरकेयू के मीडिया प्रभारी एन के खवास, केन्द्रीय संगठन मंत्री नेताजी सुभाष, जितेंद्र कुमार साव, बसंत दूबे, आर के सिंह, बी के साव, आई एम सिंह, चंदन शुक्ल, पी के सिन्हा, बी बी सिंह, महेन्द्र प्रसाद महतो, आर एन चौधरी, अजीत कुमार मंडल, सुनील कुमार सिंह, उमेश सिंह, सी पी पाण्डेय सहित महिला एवं युवा समितियों के सदस्यों ने शहीदों को नमन किया और संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।