प्रसिद्ध तीर्थस्थल में पेयजलापूर्ति ठप

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संपादकीय

झारखंड सरकार एक विज्ञापन दावा करता हैं कि जल्द हर घर को नल से जल मुहैया कराया जायेगा। लेकिन विश्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल में पेयजलापूर्ति का ठप हो जाना दुःखद है। जैन धर्मावलंबियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल में लगभग सात साल पहले ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत पाइप बिछाकर घर-घर तक नल से जल पहुंचाया था। यहां के घरों में बराकर नदी से पानी आता है। लेकिन बीते एक-दो वर्षों से जलापूर्ति व्यवस्था पूरी तरह लडखडा गई है। इस लचर व्यवस्था से न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से आ रहे तीर्थयात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड रहा है।

मालूम हो कि मधुबन जैन धर्मावलंबियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है यही वजह है कि प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं। पर तीर्थयात्रियों व स्थानीय निवासियों की प्यास बुझाने वाली करोड़ों की लागत से बनी ग्रामीण जलापूर्ति योजना दम तोड़ रही है। हाल के दिनों में पेयजल की परेशानी मधुबनवासियों के दिनचर्या में शामिल हो गयी है। विभागिय लापरवाही व संचालन समिति की मनमानी के कारण जलापूर्ति योजना के तहत किसी को पानी नहीं मिल रहा है। जलापूर्ति योजना पर लगभग सात हजार की आबादी निर्भर है। चिरकी – मधुबन की एक बडी आबादी बूंद-बूंद के लिए तरस रही है। आज जरूरत है कि जनप्रतिनिधि या प्रशासन इस समस्या पर ध्यान देते हुए यहां के लोगों की समस्या का समाधान करें। जलापूर्ति योजना के सही संचालन से न केवल यहां की एक बड़ी आबादी अपनी प्यास बुझा पायेगी बल्कि पूरे देश में सूबे की प्रशासनिक व्यवस्था की एक छवि बनेगी।

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