धनबाद की सरकारी शिक्षक डॉ. मीरा सिंह ने शिक्षा को दिया एक नया मुकाम

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धनबाद की सरकारी शिक्षक डॉ. मीरा सिंह ने शिक्षा को दिया एक नया मुकाम

अंतर्राष्टीय महिला दिवस पर विशेष 

डीजे न्यूज, धनबाद : डॉ. मीरा सिंह का नाम जुवां पर आते ही आबिद अदीब का यह खूबसूरत शेर, “जहां पहुंच के क़दम डगमगाए हैं सब के, उसी मकाम से अब अपना रास्ता होगा” जेहन में कौंधने लगता है। लगता है शायर ने मीरा सिंह के लिए ही इस बेहतरीन शेर की रचना की थी। इरादा नेक और प्रयास ईमानदार हो तो हर कामयाबी उसके कदम चूमती है।

 

मीरा सिंह ने इसे साकार करके दिखा दिया। वर्ष 2015 में डॉ. मीरा सिंह ने धनबाद जिले के गोविंदपुर प्रखंड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र उत्क्रमित उच्च विद्यालय नगरकियारी में योगदान दिया था, तब वहां न सुविधा थी, न पर्याप्त भवन थे और न ही पर्याप्त शिक्षक थे। और तो और न पर्याप्त विद्यार्थी थे। बावजूद ग्रामीण क्षेत्र उन्हें भा गया। उन्होंने इस सुदूर इलाके में शिक्षा के टिमटिमाते दीपक को प्रकाश पुंज के रूप में स्थापित करने की ठान ली। तमाम सुविधाओं से युक्त सरस्वती विद्या मंदिर में काम करने का उनके पास अनुभव था।

उस वक्त नगरकियारी शिक्षा के क्षेत्र में वियावान था। पहले यहां मिडिल स्कूल तक की ही शिक्षा की व्यवस्था थी। हाईस्कूली शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को गोविंदपुर जाना पड़ता था। बच्चे तो किसी तरह साइकिल से गोविंदपुर तक चले जाते थे, परंतु बालिकायें मिडिल पास करके ही पढ़ाई छोड़ देती थी। वैसी बालिकाएं ही मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त कर पाती थी, जिनका किसी हाई स्कूल के पास ननिहाल हुआ करता था अथवा वहां करीबी रिश्तेदार का घर होता था। डॉ. मीरा सिंह ने बालिकाओं की समस्या को बहुत निकट से देखा था। उन्होंने योगदान के साथ ही इस विद्यालय को प्लस टू के रूप में उत्क्रमित कराकर बालक- बालिकाओं, सबके लिए प्लस टू की पढ़ाई का सपना देखा था, जो आज साकार हो रहा है। आज प्लस टू हाई स्कूल नगरकियारी जिले के नामचीन प्लस टू हाई स्कूलों में एक है। उनके प्रयास से विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़कर करीब 1700 हो गई है। इनमें लड़कों से ज्यादा संख्या लड़कियों की है। ग्रामीण अभिभावकों का इन पर अटूट विश्वास है। सभी कदम से कदम मिलाकर इनका सहयोग भी करते हैं। डॉ. सिंह बालिकाओं के लिए मां से भी बढ़कर है। वह अपने बैग में हमेशा सेनेटरी पैड रखती हैं, ताकि विशेष स्थिति में बालिकाएं इसका उपयोग कर सकें। इसके अलावा उन्होंने विद्यालय में सेनेटरी पैड बैंक की स्थापना भी कर दी है। इसके एवज में छात्राओं को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। बच्चियां जब पहली बार पीरियड का सामना करती है तो उन्हें घबराहट होती है। उस स्थिति में डॉ. सिंह उन बच्चियों के लिए एक चिकित्सक और माता की भूमिका अदा करती हैं।

 

       कभी नाम मात्र के शिक्षक वाले इस विद्यालय में आज योग्य शिक्षकों की एक टीम है, जिनके सहयोग से विद्यालय का शैक्षणिक माहौल दुरुस्त हुआ है। यही कारण है कि मैट्रिक और इंटरमीडिएट का परीक्षाफल शानदार हो रहा है। शैक्षणिक और गैरशैक्षणिक, दोनों विधाओं में यहां के विद्यार्थी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। शिक्षा के प्रति समर्पण को देखकर ही जिला शिक्षा विभाग में वर्ष 2021 में राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए उनके नाम की अनुशंसा राज्य मुख्यालय से की थी। शिक्षा विभाग का जिला स्तरीय पुरस्कार भी इन्हें मिल चुका है। उत्कृष्ट शिक्षा सेवा के लिए इन्हें तत्कालीन विधायक फूलचंद मंडल, तत्कालीन जिप सदस्य अशोक कुमार सिंह, गोविंदपुर प्रखंड प्रमुख निर्मला सिंह, पूर्व उप प्रमुख डीएन सिंह, पूर्व मुखिया श्यामल चक्रवर्ती, मुखिया रेणु देवी एवं विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष अधिवक्ता प्रदीप मोदी इन्हें पुरस्कृत कर चुके हैं। तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार ने भी डॉ. मीरा सिंह को पुरस्कृत किया था। विद्यालय में उपायुक्त समेत विभिन्न अधिकारियों का आगमन हो चुका है। लायंस क्लब गोविंदपुर मारवाड़ी महिला सम्मेलन हीरक शाखा, मारवाड़ी युवा मंच उन्नति शाखा आदि संगठनों का भी कार्यक्रम विद्यालय में हो चुका है। वास्तव में यह विद्यालय अच्छी और सुलभ शिक्षा का उदाहरण बन गया है।

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