
डाक विभाग में आरटीआई कानून का उल्लंघन, सूचना कार्यकर्ता ने जताया कड़ा विरोध
डीजे न्यूज, गिरिडीह : सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 को लागू हुए दो दशक होने को आए हैं, लेकिन सरकारी विभागों द्वारा इसकी अनदेखी अब भी जारी है। ऐसा ही एक मामला गिरिडीह से सामने आया है, जहां जाने-माने सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुनील कुमार खंडेलवाल ने डाक विभाग पर RTI कानून की धज्जियां उड़ाने का गंभीर आरोप लगाया है।
समय सीमा के बावजूद नहीं मिला जवाब
खंडेलवाल के अनुसार, उन्होंने 30 नवंबर 2022 को केंद्रीय लोक सूचना पदाधिकारी, डाकघर अधीक्षक कार्यालय, गिरिडीह को ऑनलाइन सूचना आवेदन भेजा था, जिसमें तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई थी। RTI कानून के तहत इस आवेदन का जवाब 35 दिनों के भीतर मिल जाना चाहिए था, लेकिन डाक विभाग ने 11 फरवरी 2025 को जो जवाब दिया, वह चौंकाने वाला था।
डाक विभाग ने अपने जवाब में कहा कि उनका आवेदन 6 फरवरी 2025 को प्राप्त हुआ, यानी करीब दो साल तीन महीने बाद! इसके अलावा, विभाग ने यह भी बताया कि इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर किसी भी सामग्री को केवल 90 दिनों तक खोजा जा सकता है और भौतिक रूप में सिर्फ 18 महीने तक अभिलेख संधारित रखे जाते हैं।
RTI कानून का खुला उल्लंघन – खंडेलवाल
इस पर कड़ा एतराज जताते हुए खंडेलवाल ने कहा कि RTI अधिनियम 2005 के तहत किसी भी लोक प्राधिकार को दस्तावेजों को 20 वर्षों तक संधारित करना अनिवार्य है। लेकिन डाक विभाग केवल 18 महीने तक ही दस्तावेजों को सुरक्षित रखता है, जो कानून का खुला उल्लंघन है।
उन्होंने इस संबंध में डाक विभाग को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रूफ ऑफ डिलीवरी (POD) जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को कम से कम 20 वर्षों तक संधारित किया जाए, क्योंकि ये दस्तावेज न्यायालयों और सरकारी कार्यालयों में समय-समय पर जरूरी होते हैं।
शिकायत दिल्ली तक पहुंची, जल्द हो सकती है कार्रवाई
खंडेलवाल की शिकायत को श्री रुपेश पाल (ADG PG), कमरा संख्या 236 H1, डाक भवन, पार्लियामेंट स्ट्रीट, नई दिल्ली को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेज दिया गया है।
उन्होंने भरोसा जताया है कि डाक विभाग जल्द ही इस मुद्दे पर संज्ञान लेगा, जिससे देशभर के नागरिकों को लाभ मिलेगा और RTI कानून का सही तरीके से पालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।