बिरनी में राशन घोटाला: सात हजार क्विंटल से अधिक अनाज गबन 

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बिरनी में राशन घोटाला: सात हजार क्विंटल से अधिक अनाज गबन 

गरीबों को नहीं मिला हक

डीजे न्यूज, बिरनी (गिरिडीह) : सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों को मिलने वाला सात हजार सात सौ पचास क्विंटल (7750 क्विंटल) अनाज गबन होने का मामला उजागर हुआ है। सितंबर 2024 का यह राशन कार्डधारियों तक पहुंचने के बजाय डीलरों और विभागीय मिलीभगत की भेंट चढ़ गया। सात महीने बीत जाने के बावजूद कार्डधारियों को उनका राशन नहीं मिला है, लेकिन वे अब भी आस लगाए बैठे हैं।

 

कैसे हुआ घोटाला?

 

बिरनी प्रखंड के 45,000 कार्डधारकों को राशन वितरित किए बिना ही ई-पॉस मशीन में अंगूठा लगवाकर अनाज का उठाव दिखा दिया गया। डीलरों ने स्थानीय पदाधिकारियों की मिलीभगत से बैकलॉग का बहाना बनाकर यह गबन किया। जब इस मामले पर प्रशासन से सवाल किया गया तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।

 

विभाग के अनुसार, हर महीने बिरनी जेएसएफसी गोदाम को राशन भेजा जा रहा है, लेकिन डीलरों का कहना है कि उन्हें सितंबर का अनाज मिला ही नहीं।

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

 

9 दिसंबर 2024 को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) द्वारा पकड़े गए राशन घोटाले की जांच में भी भारी अनियमितता उजागर हुई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

 

सूचना के अधिकार (RTI) के तहत बिरनी के पडरिया निवासी रणवीर बरनवाल ने सितंबर माह के राशन की जानकारी मांगी थी, लेकिन विभाग ने अधूरी सूचना देकर पल्ला झाड़ लिया।

 

विभाग ने स्वीकार किया कि सितंबर माह का राशन गोदाम में आया था, लेकिन यह डीलरों के पास क्यों नहीं पहुंचा, इसका जवाब किसी के पास नहीं।

 

 

डीलरों और प्रशासन की अलग-अलग दलीलें

 

डीलरों का पक्ष: डीलर संघ के अध्यक्ष लालमणि साव ने कहा कि जेएसएफसी गोदाम के सहायक प्रबंधक ने जबरन डोर-स्टेप डिलीवरी दिखा दी, जबकि वास्तव में राशन दिया ही नहीं गया। मजबूरी में कार्डधारियों से अंगूठा लगवाना पड़ा।

 

प्रशासन का पक्ष: एजीएम देवेंद्र मंडल का कहना है कि कानूनी रूप से डीलरों को राशन दे दिया गया है, लेकिन हकीकत में उन्हें कुछ नहीं मिला।

 

प्रभारी एमओ सह जेएसएस सुरेंद्र कुमार ने कहा कि उन्होंने अक्टूबर 2024 में पदभार संभाला है, इसलिए सितंबर की गड़बड़ी के बारे में वे कुछ नहीं जानते।

 

 

आंदोलन से परहेज क्यों?

 

राशन घोटाले पर बिरनी के किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक कोई आंदोलन नहीं किया। गरीबों के हक की लड़ाई लड़ने का दावा करने वाले नेता भी मौन साधे हुए हैं। इससे सवाल उठता है कि क्या इस गबन में बड़े लोगों की संलिप्तता है?

 

क्या होगी कार्रवाई?

 

बिरनी के नागरिकों का कहना है कि हर बार जांच में अनियमितता उजागर होती है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। यदि प्रशासन ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तो बिरनी के कार्डधारक जल्द ही बड़े आंदोलन की तैयारी कर सकते हैं।

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