भगवा ध्वज तप, शौर्य और समर्पण का प्रतीक : प्रांत प्रचारक गोपाल 

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भगवा ध्वज तप, शौर्य और समर्पण का प्रतीक : प्रांत प्रचारक गोपाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मधुबन में मनाया गुरु दक्षिणा उत्सव

डीजे न्यूज, पीरटांड़(गिरिडीह) : गिरिडीह जिले के मधुबन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा गुरु दक्षिणा उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर संघ के प्रांत प्रचारक गोपाल ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु दक्षिणा उत्सव, संघ के छह प्रमुख उत्सवों में से एक है, जिसमें स्वयंसेवक भगवा ध्वज को गुरु मानकर श्रद्धा और समर्पण के साथ दक्षिणा अर्पित करते हैं।

प्रांत प्रचारक गोपाल जी ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भगवा ध्वज को गुरु मानता है क्योंकि यह सनातन मूल्यों, शौर्य, तपस्या, पराक्रम और धर्म का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का मानना था कि किसी व्यक्ति को गुरु बनाने पर वह कभी बदल सकता है, लेकिन भगवा ध्वज कभी नहीं बदलता। इसके पीछे हजारों वर्षों की सांस्कृतिक परंपरा और ऐतिहासिक विरासत निहित है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि महाभारत काल में अर्जुन के रथ पर और त्रेता युग में भगवान श्रीराम के रथ पर भी भगवा ध्वज फहराता था। यही ध्वज आज भी हमारे संन्यासियों, ऋषियों और तपस्वियों के वस्त्र रूप में देखा जाता है। इसीलिए यह ध्वज तप, त्याग, समर्पण और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। कार्यक्रम के दौरान स्वयंसेवकों ने संघ की परंपरा अनुसार भगवा ध्वज को गुरु मानते हुए गुरु दक्षिणा अर्पित की। संघ के सभी कार्य इसी दक्षिणा से संचालित होते हैं, जिससे संगठन की आत्मनिर्भरता बनी रहती है।

इस अवसर पर जिला प्रचारक निरंजन, जिला संपर्क प्रमुख शिव गौरव, खंड कार्यवाह दिलीप, विश्व हिन्दू परिषद के जिला मंत्री भरत साहू, देवनाथ, सुभाष, अतिशय, महेंद्र, श्याम प्रसाद, अजय और अमर तुरी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

गुरु दक्षिणा उत्सव न केवल संघ के लिए एक आध्यात्मिक और संगठनात्मक महत्व का पर्व है, बल्कि यह स्वयंसेवकों को सेवा, समर्पण और अनुशासन का भाव भी सिखाता है। मधुबन में आयोजित यह उत्सव अनुशासन और श्रद्धा का जीवंत उदाहरण बना।

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