भादो फुरइलो अब आसीन के तैयारी जितिया के घंटरा कोदो के बलिहारी

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भादो फुरइलो अब आसीन के तैयारी

जितिया के घंटरा कोदो के बलिहारी

 

हिंदी दिवस(खोरठा) पर विशेष 

 

भादो फुरइलो अब आसीन के तैयारी

जितिया के घंटरा कोदो के बलिहारी, 

धान भेल लह-लह तो मडुआ नशाय गेल

जोन्द्रा गदरावे से कुकुरेन मोटाय गेल, 

अब पितर पख अइते तो पानी पठाय दीहो

पितरन के तर्पण दे गोतिया जमाय दीहो, 

एक दिन रज्ज-गज्ज पितरन के नाम से

बाद बाकी साल भर सुखल जजमान से, 

इहे समैया में हिंदी दिवस भी पड़तो

तर्पण- मार्जन के सप्ताह सजइतो, 

कुछ बहरूपिया अइथी हिंदी पर कांदथी

मुड़ी छोइड मोछ मुडाय के बरखी पुरैथी, 

फेर किरिया कसम खाय के श्रद्धा दखइथी

महालया के भोरे सभे हिंदी के बिसरइथी, 

हिंदी के चेंगईर जब अंग्रेजी से बिहाय गेल

हिंदी निझाई गेल आर अंग्रेजी लहराय गेल, 

माय के टिका नथिया गिरवी रखाय गेल

ओकरे से सास के सैंडिल किनाय गेल , 

कांदे हूँ भोर साँझ विधाता के विधान पर

अंग्रेजी के राज भेल हिंदी के दोकान पर। 

 

जयंत चक्रपाणी, शिक्षक

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