बगोदर ट्रॉमा सेंटर में पत्रकारों के साथ डॉक्टर ने की अभद्रता, बिना इलाज कराए लौटे दोनों पत्रकार

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बगोदर ट्रॉमा सेंटर में पत्रकारों के साथ डॉक्टर ने की अभद्रता, बिना इलाज कराए लौटे दोनों पत्रकार

श्रीप्रसाद बरनवाल, बगोदर(गिरिडीह) : गिरिडीह जिले के बगोदर ट्रॉमा सेंटर में सोमवार शाम दो पत्रकारों के साथ डॉक्टर द्वारा की गई बदसलूकी का मामला सामने आया है। इलाज कराने पहुंचे पत्रकारों को न केवल ताना सुनना पड़ा, बल्कि डॉक्टर के गुस्से और असंवेदनशील व्यवहार के कारण वे बिना इलाज के लौटने को मजबूर हो गए।

सोमवार शाम करीब 5:30 बजे, दो स्थानीय पत्रकार शरीर में अचानक हुई पीड़ा के इलाज के लिए बगोदर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। वहां मौजूद महिला अटेंडेंट ने दोनों के नाम रजिस्टर में दर्ज किए और ओपीडी से अनुपस्थित डॉक्टर संजय सिंह को बुलवाया गया। जैसे ही डॉक्टर संजय ओपीडी में पहुंचे, वे नाराज हो गए और पत्रकारों पर भड़कते हुए कहा, “मैं सो रहा था, डिस्टर्ब करने चले आते हो।” पत्रकारों ने जब इस पर आपत्ति जताई और कहा कि शाम के 5:30 बजे सोने का समय नहीं होता, तो डॉक्टर और ज्यादा गुस्से में आ गए। उन्होंने जवाब दिया, “24 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है, सोने का वक्त नहीं मिलता। पत्रकारों ने जब बताया कि हाथ में अचानक तेज दर्द के कारण वे इलाज के लिए आए हैं, तो डॉक्टर ने पूछताछ शुरू कर दी “दर्द तीन बजे शुरू हुआ तो उसी समय क्यों नहीं आए? अब ओपीडी का समय खत्म हो चुका है, सिर्फ इमरजेंसी मरीज ही देखे जाते हैं।” डॉक्टर का रवैया बेहद असंवेदनशील और रूखा था। दोनों पक्षों में करीब 10 मिनट तक बहस चली, जिसके बाद पत्रकार बिना इलाज कराए लौट गए।

डॉक्टर के पक्ष में मौजूद कुछ महिला अटेंडेंट ने भी मामले में हस्तक्षेप किया, जिससे डॉक्टर का व्यवहार और आक्रामक हो गया। घटना की जानकारी बगोदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार को दी गई। उन्होंने माना कि शाम 5:30 बजे सोना उचित नहीं है और डॉक्टर संजय को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। हालांकि उन्होंने डॉक्टरों की कमी और अत्यधिक कार्यभार की बात कहते हुए मामले को तूल न देने की अपील की।

गौरतलब है कि बगोदर ट्रॉमा सेंटर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अक्सर मरीज दुर्घटना या मारपीट के बाद पहुंचते हैं। सामान्य समय में ओपीडी सेवा दोपहर 3 बजे तक ही सीमित है, उसके बाद इमरजेंसी सेवा चालू रहती है। लेकिन इस घटना ने स्वास्थ्य केंद्र में व्यवसायिकता और संवेदनशीलता की कमी को उजागर कर दिया है।

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