



बेड़ा-दोबारी कोलियरी में भ्रष्टाचार के खिलाफ मजदूरों का हल्ला बोल

सुरक्षा व पारदर्शिता की अनदेखी नहीं होगी बर्दाश्त : आनंद मय पाल
डीजे न्यूज, तिसरा(धनबाद) : बेड़ा-दोबारी कोलियरी के मजदूरों ने शनिवार को बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के नेतृत्व में जोरदार प्रदर्शन करते हुए प्रबंधन पर भ्रष्टाचार और लापरवाही का आरोप लगाया। इस दौरान मजदूरों ने प्रबंधन को 16 सूत्री मांग पत्र सौंपा और कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
सभा की शुरुआत में मजदूरों ने हाल ही में एकेडब्लूएमसी और अंबे माइनिंग दुर्घटना में जान गंवाने वाले मजदूरों की याद में एक मिनट का मौन रखा और घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। यूनियन नेताओं ने कहा कि बस्ताकोला क्षेत्र में अवैध माइनिंग खुलेआम प्रबंधन और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में हो रही है, लेकिन सभी चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। यूनियन के केंद्रीय सचिव आनंद मय पाल ने सभा की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि दोबारी कोलियरी में उत्पादन शून्य होने के बावजूद खर्च बढ़ते जा रहे हैं, जो भ्रष्टाचार का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रबंधन अगर जल्द स्थिति को नहीं सुधारता तो मजदूर सड़क पर उतरकर मजबूरन आंदोलन करेंगे।
सभा को संबोधित करते हुए शाखा अध्यक्ष राम बदन राम (बेड़ा), लीला चौहान (दोबारी), पतित पवन माजी, आनंद लाल महतो, आनंद कोड़ा, संजय सिंह, नरेश रजक, फूल कुमारी मझियाहीन, मुन्नी कुमारी और आशीत चटर्जी समेत अन्य वक्ताओं ने कहा कि मजदूरों की समस्याओं का लगातार अनदेखी किया जा रहा है।
प्रमुख मांगें
बेड़ा-दुबारी कोलियरी में खनन कार्य पुनः चालू करने की मांग।
BGR पंप स्टेशन और जीरो सिम की मरम्मती कर सुरक्षित संचालन।
संडे हॉलीडे ड्यूटी चार्ट समय से नोटिस बोर्ड पर लगाने और भेदभाव समाप्त करने की मांग।
बेरा-आमटाल सड़क का मजबूतीकरण और बेरा ऑफिस से बारूद घर तक सड़क मरम्मत।
मजदूर आवासों की मरम्मती, डिस्पेंसरी, नालियां, लाइट और पेयजल की समुचित व्यवस्था।
महिला कर्मियों को समय पर एसएलयू सुविधा और मजदूरों को नियमित वेतन पर्ची उपलब्ध कराना।
यूनियन नेताओं ने कहा कि मजदूर लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं और पारदर्शी व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन टालमटोल कर रहा है। यदि एक सप्ताह के भीतर वार्ता कर ठोस समाधान नहीं निकाला गया तो मजदूर बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
