
बंचिंग कटौती का आदेश निरस्त करे सरकार नहीं तो कोर्ट जाएंगे प्राथमिक शिक्षक
आंदोलन के साथ-साथ अदालत का भी दरवाजा खटखटाने का गिरिडीह के शिक्षकों का ऐलान
छठे वेतनमान में हुई विसंगतियों के कारण आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का लगाया आरोप
डीजे न्यूज, गिरिडीह : बंचिंग कटौती के निर्णय से भड़के गिरिडीह के प्राथमिक शिक्षकों ने आंदोलन के साथ-साथ अदालत में भी चुनौती देने का ऐलान किया है। यह ऐलान शनिवार को झंडा मैदान में बैठक आयोजित कर किया गया। प्रभावित शिक्षकों ने कहा कि सरकार का यह निर्णय उनके हितों के खिलाफ है। इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।
बैठक में उपस्थित शिक्षकों ने सर्वसम्मति से दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए :
बंचिंग कटौती के आदेश को निरस्त करने की मांग : शिक्षकों ने मांग की कि 7वें वेतनमान में बंचिंग कटौती के आदेश को वित्त विभाग और झारखंड सरकार तत्काल प्रभाव से निरस्त करे।
न्यायालय की शरण में जाने की चेतावनी : अगर वित्त विभाग बंचिंग कटौती का आदेश निरस्त नहीं करता है, तो सभी शिक्षक न्यायालय के शरण में जाने के लिए बाध्य होंगे।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि शिक्षकोंं को वेतनमान में वरीयता के आधार पर बंचिंग का लाभ दिया गया था, लेकिन अब 18-19 वर्षों के बाद जब वे 7वें वेतनमान की प्राप्ति कर रहे हैं, तो छठे वेतनमान में हुई विसंगतियों के कारण उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
शिक्षकों की एकजुटता
बैठक में नवीन कुमार, नवीन निश्चल, संजय कुमार, मुस्तकीम अंसारी, खीन्द्र प्रसाद, सब्बीर अंसारी, फैजुल, रामदेव प्रसाद, अरुण गोप, जागेश्वर प्रसाद भादव, अरुण कुमार साहू, अमृत साव, अरविन्द कुमार, रेखा कुमारी, जितेन्द्र नारायण साहू आदि शिक्षकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और बंचिंग करौती के आदेश के विरोध में एकजुटता दिखाई।