बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक बुराई : स्मृता कुमारी

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बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक बुराई : स्मृता कुमारी

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान : समाहरणालय से जागरूकता वाहन रवाना

डीजे न्यूज, गिरिडीह : बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को लेकर गुरुवार को समाहरणालय परिसर से जागरूकता वाहन रवाना किया गया। इस दौरान उप विकास आयुक्त स्मृता कुमारी ने सभी अधिकारियों और कर्मियों को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शपथ दिलाई। इसी क्रम में उप विकास आयुक्त द्वारा हस्ताक्षर अभियान का भी शुभारम्भ किया गया, जिसके माध्यम से नागरिकों को बाल विवाह उन्मूलन के प्रति जागरूक करने तथा सामाजिक प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने का संदेश दिया गया। बताया गया कि बाल विवाह मुक्त जिला बनाने के लिए 100 दिनों का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। यह जागरूकता वाहन जिले के विभिन्न गांवों का भ्रमण करेगा और बाल विवाह रोकथाम से संबंधित संदेश जन-जन तक पहुँचाएगा।
मौके पर उप विकास आयुक्त स्मृता कुमारी ने कहा कि बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जिसे समाप्त करने के लिए निरंतर एवं व्यापक जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। बाल विवाह के कारण बालिकाओं के शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कम उम्र में गर्भधारण की स्थिति में जच्चा–बच्चा दोनों के जीवन पर जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही कम आयु में वैवाहिक एवं पारिवारिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन मानसिक तनाव को बढ़ाता है और बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा तथा सर्वांगीण विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह जैसी कुप्रथाएँ देश की जनसांख्यिकीय संरचना को भी प्रभावित करती हैं, जिससे दीर्घकालिक विकास की प्रक्रिया बाधित होती है। उप विकास आयुक्त ने सभी से आह्वान किया कि वे बाल विवाह के दुष्परिणामों को समझते हुए इसके उन्मूलन में प्रशासन का सहयोग करें, तथा किसी भी परिस्थिति में बाल विवाह न होने दें। उन्होंने कहा कि यदि कहीं भी बाल विवाह की आशंका या प्रयास दिखाई दे, तो उसकी सूचना तुरंत पंचायत प्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन को दें, क्योंकि यह प्रत्येक नागरिक का सामाजिक दायित्व है।
इसके अलावा जिला जनसंपर्क पदाधिकारी अंजना भारती ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई और कानूनी अपराध है। इसके रोकथाम के लिए सभी को आगे आने की आवश्यकता है। साथ ही बाल विवाह मुक्त भारत अभियान हेतु व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के कारण सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि कई पीढ़ियां का जीवन बर्बाद होता है। इसके लिए समाज के तमाम बुद्धिजीवी वर्ग, शिक्षक, जनप्रतिनिधि सहित सभी लोगों को आगे आने की आवश्यकता है। उन्होंने बाल विवाह की सूचना तुरंत प्रशासन को देने की अपील की।
इस दौरान जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने कहा कि बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को पूरे 100 दिन के लिए चलाया जा रहा है। ताकि गांव-गांव तक ये संदेश पहुंचे कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई और कानूनी अपराध है। जागरूकता रथ के माध्यम से जनसामान्य को यह भी अवगत कराया जाएगा कि विवाह हेतु लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा लड़की की 18 वर्ष निर्धारित है। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना, दो वर्ष तक का कारावास अथवा दोनों का प्रावधान है। साथ ही बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल यौन शोषण एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी भी लोगों तक पहुँचाई जाएगी। मौके पर उपरोक्त के अलावा जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, जिला नजारत उप समाहर्ता, परीक्ष्यमान उपसमाहर्ता समेत अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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