बाबूलाल के घर पर कल्पना का जादू 

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बाबूलाल के घर पर कल्पना का जादू

मस्तराम की चौपाल

दिलीप सिन्हा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी । गृह जिला है गिरिडीह। बाबूलाल राजधनवार से विधायक हैं। गिरिडीह जिले के ही गांडेय से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन विधायक हैं। लगातार दो बार गांडेय से चुनाव जीतकर कल्पना बाबूलाल को पहले ही झटका दे चुकी हैं। अब वहां कल्पना का जादू सर चढ़कर बोल रहा है। यह उनके अभी दो दिन के गिरिडीह प्रवास में नजर आ गया। सत्ता हाथ में है तो प्रशासन पर भोपाल तो रहेगा ही। पर लोगों के दिलों में भी वह राज करती दिखीं। चाहे स्कूल हो या सभा , सभी जगह छाई रहीं। अपने वोट बैंक को साधने में भी कोर कसर नहीं छोड़ी। अहिल्यापुर में सड़क शिलान्यास समारोह में गिरिडीह के विधायक सुदिव्य सोनू को बड़ा भाई एवं जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी को देवर बता भावनाओं की डोर से लोगों को बांधा। अब ऐसे घटनाक्रम पर मस्तराम की चौपाल ना सजे या तो हो ही नहीं सकता, सो चौपाल लग गई। मस्तराम चेलों से बतियाने लगे-भाजपा वाले संभल जाएं। घर में ही शहर मिल रही है कहीं….न हो जाए।

छने छने बदले तोहरो मिजाज रजऊ…

आज कल कांग्रेसी एक गीत छने छने बदले तोहरो मिजाज रजऊ खूब गुनगुना रहे हैं। जब भी कुछ कांग्रेसी जुटते हैं, मुस्कुराते हुए यही गीत गुनगुनाते हैं। इस गीत को भोजपुरी गायिका करीना पांडेय ने काफी लोकप्रिय किया है। धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर अपने मस्तराम चौपाल लगाए हुए थे। कांग्रेसियों के इस गीत को गुनगुनाने का राज कुछ युवकों ने मस्तराम से पूछा। मस्तराम ने कहा-अरे भाई समझे नहीं, ये कांग्रेसी अपने प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश के बारे में गुनगुना रहे हैं। अब पूरा माजरा समझ लो। केशव बाबू ने पहले सभी जिलाध्यक्षों को पत्र भेजकर निष्क्रिय प्रखंड अध्यक्षों की सूची दी। नए अध्यक्ष के लिए तीन-तीन नाम भी मांगे। नाम मिलते ही 44 प्रखंड अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी। यह क्या-तुरंत साहब का मिजाज बदल गया। तुरंत सभी 44 अध्यक्षों का मनोनयन निरस्त कर पुराने को ही फिर से बहाल कर दिया।

कायम है रघुवर की माया

रघुवर दास। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व ओडिशा के पूर्व राज्यपाल। राज्यपाल की कुर्सी छोड़कर वापस भाजपा में सक्रिय हैं। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर नजर है। इधर उनके प्रतिद्वंद्वी उन्हें इस कुर्सी तक पहुंचने से रोकने के लिए दिल्ली तक लॉबिंग कर रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व ऊहापोह में है। सो, प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खाली पड़ी है। मुख्यमंत्री के रूप में उनकी माया राज्य की जनता देख चुकी है। प्रतिद्वंद्वी समझ रहे थे रघुवर की माया अब खत्म हो चुकी है। लेकिन, रघुवर जब गुरुवार की रात धनबाद पहुंचे तो साफ हो गया- रघुवर की माया कायम है। शायद ही जिले का कोई प्रमुख भाजपा नेता हो जो उनके स्वागत में नहीं पहुंचा। सिर्फ वैसे ही नेता नहीं पहुंच सके थे जो जिले से बाहर थे। मस्तराम कहते हैं-भाई चेहरा दिखाना मजबूरी है। पता नहीं-कब वह प्रदेश अध्यक्ष बनकर आ जाएं। यही राजनीति है साहब।

संभलकर गुलदस्ता लीजिए साहब

सरकार ने कई जिलों के डीसी-एसपी बदल दिए हैं। सभी अपने-अपने जिले की कमान संभाल भी चुके हैं। इधर, साहब के स्वागत की होड़ लगी हुई है। रोज किसी न किसी संगठन के लोग साहब के चैंबर में गुलदस्ता लेकर पहुंच जाते हैं। साहब को गुलदस्ता देते हुए फोटो खिंचाकर उसे इंटरनेट मीडिया पर डाल रहे हैं। इससे साहब भी परेशान हैं, लेकिन करें भी क्या। इसे शिष्टाचार मुलाकात का नाम जो दिया जाता है। मस्तराम के चौपाल में यह मामला उठा। मस्तराम ने चेले के सवाल का जवाब देते हुए साहब को सलाह दी-गुलदस्ता किससे ले रहे हैं, यह भी जरूर ख्याल रखें। अधिकांश लोग तो प्रतिष्ठित हैं और प्रतिष्ठित संगठनों से जुड़े हैं, लेकिन

साहब के नए होने का लाभ उठाकर एक-दो ऐसे लोग भी पहुंच रहे हैं जो करे खिलाड़ी हैं।इनसे सम्मान लेने पर बाद में साहब को ही अफसोस होगा। खैर, हम तो चुप ही रहेंगे।

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