


आरटीआई से उजागर हुआ एम्स देवघर की आईसीयू-सीसीयू व्यवस्था का सच

स्वास्थ्य ढांचे पर उठे गंभीर सवाल
डीजे न्यूज, देवघर : झारखंड के राष्ट्रीय महत्व के चिकित्सा संस्थान एम्स देवघर की गहन चिकित्सा सेवाओं को लेकर एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में एम्स देवघर प्रशासन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है कि ICU–CCU की व्यवस्था स्वीकृत क्षमता के अनुरूप संचालित नहीं हो रही है, जिससे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और संस्थान की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े हो गए हैं।
आरटीआई के जवाब में एम्स देवघर प्रशासन ने बताया है कि संस्थान में आईसीयू के कुल 80 बेड स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 10 आईसीयू बेड ही संचालित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही यह भी स्वीकार किया गया है कि Cardiac Care Unit(सीसीयू)अब तक Non-Operational है।
आईसीयू से संबंधित रिपोर्ट में यह तथ्य भी दर्ज है कि बड़ी संख्या में गंभीर मरीजों को उपचार के लिए बाहर रेफर करना पड़ा, जो झारखंड के सबसे बड़े और राष्ट्रीय महत्व के अस्पताल की क्षमता एवं स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। चूंकि एम्स एक केंद्रीय संस्थान है और इसके संचालन व वित्तीय व्यय का वहन मुख्यतः केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, ऐसे में आईसीयू का पूर्ण क्षमता से संचालित न होना तथा सीसीयू का अब तक शुरू न होना अत्यंत चिंताजनक माना जा रहा है।
आरटीआई के तहत मांगी गई खर्च एवं परियोजना से जुड़ी कुछ जानकारियाँ “NA” (Not Available) दर्शाते हुए साझा नहीं की गईं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर भी प्रश्न उठ रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और जागरूक नागरिकों का मानना है कि एम्स देवघर जैसी राष्ट्रीय संस्था में आईसीयू–सीसीयू जैसी जीवनरक्षक सेवाओं का अधूरा संचालन न केवल मरीजों के जीवन के लिए जोखिमपूर्ण है, बल्कि यह सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को भी उजागर करता है।



