आईआईटी (आईएसएम) में प्लैनेटरी रिमोट सेंसिंग और क्रायोस्फेयर पर व्याख्यान

Advertisements

आईआईटी (आईएसएम) में प्लैनेटरी रिमोट सेंसिंग और क्रायोस्फेयर पर व्याख्यान
डीजे न्यूज, धनबाद :
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के एप्लाइड जियोफिज़िक्स विभाग में चल रही शताब्दी समारोह गेस्ट लेक्चर सीरीज के तहत आईआईटी बॉम्बे के सीएसआरई के सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपक सिंह ने “प्लैनेटरी रिमोट सेंसिंग और क्रायोस्फेयर” विषय पर व्याख्यान दिया।
डॉ. सिंह ने बताया कि प्लैनेटरी रिमोट सेंसिंग (ग्रहों की दूर संवेदन तकनीक) ने बर्फ से जुड़ी खोजों को नई दिशा दी है। उन्होंने बताया कि मल्टीस्पेक्ट्रल, हाइपरस्पेक्ट्रल, लिडार और रडार जैसी तकनीकों के माध्यम से पृथ्वी और अन्य ग्रहों की बर्फ की परतों की संरचना, बदलाव और ऊर्जा संतुलन की गहराई से जानकारी मिल रही है। उन्होंने कहा, “पृथ्वी के ग्लेशियरों से लेकर मंगल ग्रह की ध्रुवीय बर्फ और यूरोपा (बृहस्पति का उपग्रह) की बर्फीली सतहों तक, इन तकनीकों से हमें धूल और बर्फ के आपसी असर, अल्बीडो फीडबैक और अंदरूनी परतों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।”


पृथ्वी पर ये तकनीकें ग्लेशियरों की स्थिति, बर्फ की मात्रा में बदलाव और पर्माफ्रॉस्ट (जमी हुई जमीन) के पिघलने जैसे मुद्दों के अध्ययन में मदद करती हैं। अन्य ग्रहों पर, इनसे पुराने मौसमीय बदलावों के संकेत, गैसों और धूल के मेल-जोल, और जीवन की संभावनाओं वाली जगहों को पहचानने में सहायता मिलती है।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रयोगशाला में किए गए स्पेक्ट्रोस्कोपी और कंप्यूटर मॉडलिंग को इन आंकड़ों के साथ जोड़ने से बहुत सटीक विश्लेषण संभव होता है। यह तरीका वैज्ञानिकों को ग्रहों के वातावरण और सतह के बीच के संबंध को समझने में मदद करता है।
बता दें कि डॉ. दीपक सिंह ने आईआईटी (आईएसएम) धनबाद से एप्लाइड जियोफिज़िक्स में इंटीग्रेटेड मास्टर डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन (यूएसए) से एटमॉस्फेरिक, ओशैनिक और स्पेस साइंसेज़ में एमएस और पीएचडी की। उन्होंने पीआरएल, अहमदाबाद में पोस्टडॉक और इंस्पायर फैकल्टी के रूप में कार्य किया। उनका शोध क्षेत्र सौरमंडल के ग्रहों में बर्फ और जलवायु के संबंध, बर्फ/हिम के मॉडलिंग और ऊर्जा संतुलन का अध्ययन है।
कार्यक्रम की शुरुआत में एप्लाइड जियोफिज़िक्स विभागाध्यक्ष प्रो. सौमेन मैती ने डॉ. सिंह का स्वागत करते हुए उन्हें शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक प्रो. मोहित अग्रवाल और विभाग के प्रो. पी.के. खान भी उपस्थित थे।कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों और शोधार्थियों ने डॉ. सिंह से विषय से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सवाल पूछे।

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
Scroll to Top